इंडिया न्यूज़, Rajasthan News (Lumpy Skin Disease): राजस्थान में इन दिनों पशुओं में लंपी स्क्नि डिसीज(Lumpy Skin Disease) होने पर पशुओं के शरीर पर गांठें बनने जैसी बीमारी बहुत तेजी से पांव पसार रही है। जिसके कारण पशुपालकों की चिंताएं बढ़ा दी है।
वहीं राजस्थान में हजारों हजारों गायों को इस बीमारी ने चपेट में ले लिया है। वहीं 300 से अधिक गायों की इससे मौत भी हो चुकी है। वहीं इसको लेकर नागौर सांसद ने पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया को भी मामले को संज्ञान में लेकर बीमारी के रोकथाम हेतु विशेष अभियान प्रदेश भर में चलने की मांग की है।
हनुमान बेनीवाल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि राजस्थान में नागौर सहित कई जिलों में पशुधन में लंपी स्किन(Lumpy Skin Disease) नामक संक्रामक बीमारी फैल चुकी है जिसके कारण कई गायें काल कवलित हो गई जो चिंता का विषय है। मेरी राजस्थान सरकार के कृषि एवम पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया से मांग है कि पशुपालकों व गौशालाओं की पीड़ा को समझे।
इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि उक्त(Lumpy Skin Disease) बीमारी के रोकथाम हेतु विशेष अभियान प्रदेश भर में चलाया जाए तथा विशेष टीमों का गठन करके गौशालाओं में गायों का स्वास्थ्य परीक्षण करवाया जाए और सरकारी पशु चिकित्सा संस्थानों में पर्याप्त मात्रा में दवाइयां उपलब्ध करवाई जाए ताकि गौ माता को काल कवलित होने से बचाया जा सके।
इस मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान जी से भी अनुरोध है कि आप केंद्र के स्तर से भी एक विशेष टीम राजस्थान के नागौर सहित अन्य जिलों में भेजे ताकि राज्य के पशुपालन विभाग के साथ समन्वय स्थापित करके इस गंभीर बीमारी से समय पर निपटा जा सके।
पशुपालन विभाग के वरिष्ठ डॉ प्रवीण कुमार शर्मा ने बताया कि लंपी स्किन(Lumpy Skin Disease) होने से पशुओं को तेज बुखार आ जाता है। पशुओं के शरीर पर गांठें बनने लगती हैं। सिर और गर्दन के हिस्सों में काफी दर्द रहता है। इस दौरान पशुओं में दूध देने की क्षमता भी कम हो जाती है।
पिछले कई दिनों में से राजस्थान में इस बिमारी कई पशुओं की मौत हो चुकी है। बीमारी की चपेट में खास तौर से गाय आती है। इसके कारण राजस्थान के कई जिलों में कई गायों की मौते हो चुकी है। यह संक्रामक रोग तेजी से फैल रहा है।
पशु पालन विभाग के ख्यालीराम सांडेला व सांवरमल रंणवा ने बताया कि यह वायरस मच्छरों और मक्खियों के जैसे खून चूसने वाले कीड़ों से फैलता है। दूषित पानी, लार और चारे की वजह से पशुओं को ये रोग होता है।
पशुओं में जब भी इस बीमारी के लक्षण दिखें तो सबसे पहले अपनी बीमार गाय-भैंसों को सबसे अलग कर दें। उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी अलग कर दें। पशुओं को रखने वाले स्थान पर साफ-सफाई रखें। अगर ऐसा नहीं किया गया तो आपके अन्य पशु इस बीमारी से पीड़ित होकर जान गंवा सकते हैं।
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