India News (इंडिया न्यूज़ ), Kota latest News: शिक्षा नगरी कोटा में बढ़ते छात्रों के सुसाइड के मामलो ने सरकार के साथ-साथ पेरेंट्स की भी रातों की नींद उड़ा रखी है। छात्रों के सुसाइड मामलों की रोकथाम को लेकर कोटा में सरकार और प्रशासन हर प्रयास कर रहे है। लाख प्रयास के बाद भी कोटा में छात्रों के सुसाइड मामले थमने का नाम नही ले रहे। जिस डर से अब कई पैरेंट्स भी कोटा में आकर अपने बच्चों के साथ रहने को मजबूर हैं। पेरेंट्स का कहना है – इस माहौल को देखकर डर लगता है।
आपको बता दें कि कोटा से साल 2023 के जनवरी महिने से अब तक 27 सुसाइड के मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से अधिकतम वो छात्र हैं जो कोटा में रहकर नीट या जेईई की तैयारी कर रहे थे। इस तरह की घटनाओं ने छात्रों के पेरेंट्स को हिलाकर रख दिया है, जो अपने बच्चों को कोटा में रखकर तैयारी करा रहे हैं। अगर बात करें कोटा में इसी साल के इन 9 महीने की तो, कोटा में इसी साल के इन 9 महीने में छात्रों के सुसाइड के आंकड़े अब स्टूडेंट के पेरेंट्स को भी डराने लगें है।
यहां नीट की तैयारी कर रहे एक छात्र की मां अंजलि आहूजा ने बताया – मध्य प्रदेश से यहां आकर मेरा बेटा कोटा में नीट की तैयारी कर रहा है। कोटा का माहौल और खबरें देखकर मुझे डर लगने लगा था। इसीलिए मैं अपने बेटे के पास कोटा आ गई, फोन पर बात हुई तो उसकी तबीयत भी सही नहीं थी। वो खाना भी नहीं खा रहा था तो इस माहौल को देखकर घबरा गई, जहां मेरा बेटा रह रहा था, दरअसल वहां खाना अच्छा नहीं था। फिर कोटा के इस माहौल में हर मां को डर लगेगा, पढ़ाई का प्रेशर तो रहता ही है। अंजलि ने बेटे की दिनचर्या बताते हुए कहा – वो सुबह उठता है, तब से लेकर रात तक पढ़ने और होमवर्क में ही टाइम निकल जाता है। वहां रहती हूं तो इतना संपर्क भी नहीं कर पाती थी। अब पास आ गई हूं तो डर नहीं लगता। मैं बेटे को यही समझाती हूं कि तैयारी कर लो अगर नहीं हुआ तो कोई बात नहीं। मेरे पति मेडिकल स्टोर चलाते हैं, वह भी बच्चे से रेगुलर बात करते है। हम दोनों बस यही समझाते हैं कि तुम बस अपना बेस्ट देने की कोशिश करो, अगर नहीं हुआ तो कोई बात नहीं।
महाराष्ट्र हिंगोली जिले के एक छोटे से गांव धनगर वाडी के रहने वाले केदार रामदास कोरडे दो साल पहले अपने दो बेटों को लेकर कोटा आ गए थे। केदार ने बताया – मैं एक अल्प भूधारक किसान हूं। मेरे दो बच्चे हैं और मैं 2022 में मेरी पत्नी और मेरे दोनों बच्चों को लेकर कोटा आया था। मेरा एक बेटा 14 साल का है और दूसरा 17 साल का, मेरा बड़ा बेटा नीट की तैयारी कर रहा है और छोटा बेटा 9th क्लास में है। उन्होने बताया – मेरी स्थिति ऐसी नहीं थी कि मैं कोटा जाऊं और मेरे बच्चों को पढ़ा सकूं। मैं एक गरीब किसान हूं। मेरे बेटे जिस स्कूल में पढ़ते थे, उस स्कूल की एक बच्ची की 2020 में नीट यूजी में ऑल इंडिया रैंक 17 आई थी। तब मैंने सोचा कि चाहे जो भी हो मुझे मेरे बच्चों को पढ़ाना है, नहीं तो मेरे बच्चे भी मेरी तरह किसान ही बनकर रह जाएंगे। लेकिन, मेरी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि मैं कोटा में अपने बच्चों को पढ़ा सकता, उसके बाद मैंने अपनी ढाई बीघा जमीन बेच दी। यहां बच्चे अकेलेपन में परेशान न हों, इसलिए उनके साथ ही आ गया और अब यहीं वार्डन का काम करता हूं।
कोटा के प्रशासन ने कोचिंग इंस्टीट्यूट से कई तरह के बदलाव किए है। यहां रूटीन टेस्ट के लिए 6 बिंदुओं की गाइडलाइन तैयार कर जारी की गई।