इंडिया न्यूज़, जयपुर।
Karauli Violence Investigation : करौली हिंसा की जांच करने के लिए भाजपा (BJP) का प्रतिनिधि मंडल मंगलवार को करौली के लिए रवाना हो गया। प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां (Satish Poonia) ने मामले की जांच के लिए प्रतिनिधिमंडल का गठन किया था। उनके निर्देश पर जांच करने के लिए यह दल घटनास्थल पर पहुंच कर सभी पक्षों से बात कर तथ्यात्मक जानकारी जुटाएगी और प्रदेश अध्यक्ष को तथ्यात्मक रिपोर्ट सौंपेगी। (Karauli Violence Investigation)
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प्रतिनिधि मंडल में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, राष्ट्रीय मंत्री अलका सिंह गुर्जर, प्रदेश महामंत्री मदन दिलावर, सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया, प्रदेश मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा, सांसद जसकौर मीणा, विधायक कन्हैया लाल चौधरी, पूर्व विधायक रामहेत यादव शामिल है। (Karauli Violence Investigation)
प्रतिनिधिमंडल की रवानगी से पहले प्रदेश भाजपा कार्यालय में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathod) ने पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि बड़ी विडंबना है कि हिंदू नववर्ष पर सुनियोजित तरीके से अचानक हमला हुआ। मकान के ऊपर सैंकड़ो पत्थर एकत्र किए गए। मकान की छतों से हमला हुआ। पुलिस द्वारा ड्रोन का सर्वे नहीं हुआ और इंटेलिजेंस की रिपोर्ट प्राप्त नहीं होना इस सरकार का फेल्योर है। घटना के 45 मिनट बाद अतिरिक्त जाब्ता मौके पर पहुंचा। इसके बाद भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने बचकाना बयान जारी किया। जो उनकी कुंठित मानसिकता को प्रकट करता है। उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर टिप्पणी करते हुए कहा कि नड्डा आते हैं, अमित शाह आते हैं और आग लगा कर चले जाते है। (Karauli Violence Investigation)
राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathod) ने कहा कि ऐसे बयान से एक तरह से पूरे राजस्थान में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने चेतावनी दे दी है कि आने वाले समय में दंगे भी होंगे और तनाव भी होगा। मुख्यमंत्री का यह बयान हास्यास्पद भी है और गैर जिम्मेदाराना भी है। मुख्यमंत्री के बयानों से एक तरह से हमलावरों को क्लीनचिट मिली है। उन्होंने कहा कि पीएफआई (PFI) के मोहम्मद आसिफ (Mohammad Asif) ने एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा था कि तनाव होगा, लेकिन सरकार और एजेन्सियों ने ध्यान नही दिया। पीएफआई (PFI) को आधा दर्जन राज्यों में प्रतिबंधित कर रखा है। सिमी (SIMI) जैसे संगठन से ये संगठन जुड़ा हुआ है। ये वही पीएफआई (PFI) है, जिसके लिए इंटेलिजेंस ने कहा था कि कोटा के छबड़ा समेत अन्य कस्बों की जो घटनाएं हुई, उनमें उसकी संदिग्ध भूमिका थी। लेकिन पीएफआई (PFI) के खिलाफ कोई कार्यवाही तो दूर बल्कि जांच भी नहीं हुई। राठौड़ ने प्रदेश की कई साम्प्रदायिक घटनाओं के लिए पीएफआई (PFI) को जिम्मेदार ठहराया। (Karauli Violence Investigation)
राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathod) ने कहा कि मुख्यमंत्री हमेशा कॉपी पेस्ट भाषण देते हैं। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने हिंदू और हिन्दुत्व की परिभाषा दी, वो किसी से छिपी हुई नहीं है। राजस्थान आईपीसी (IPC) से नहीं जीपीसी (GPC) से यानी गहलोत पैनल कोड से चलता है। तुष्टिकरण की नीति पर राज्य सरकार को घेरते हुए राठौड़ ने गहलोत सरकार पर कई आरोप लगाए। इस दौरान मदन दिलावर (Madan Dilawar) ने आरोप लगाया है कि हमले में अधिकांश कांग्रेसी नेता शामिल थे। छतों पर पत्थर व तलवारें एकत्र की गई थी। मस्जिद पर भी ऐसी तैयारी की गई थी। प्रवक्ता रामलाल शर्मा (Ramlal Sharma) ने कहा कि इतिहास में यह पहली सरकार है, जिस पर विधायकों को ही विश्वास नहीं है। राज्य सरकार को अपने प्रशासन और अधिकारियों पर विश्वास नहीं है। इसलिए कांग्रेस ने जांच कमेटी बनाई है। इसलिए इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए। (Karauli Violence Investigation)