इंडिया न्यूज, Rajasthan News : एक IT इंजीनियर जो की MNC में काम करता था , उसने MNC की नौकरी छोड़ कर खेती का काम शुरू कर दिया। IT इंजीनियर ने इस काम के लिए बंजर जमीन को उपयोग में लाया। उसने बंजर जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती की। हर साल लगभग 30 लाख तक की कमाई का अनुमान लगाया जा रहा है।
ये कोशिश करने वाले हैं राजस्थान के पाली जिले के लाटौती गांव (जैतारण) के रहने वाले हेमेंद्रसिंह उदावत। उन्होंने कई मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी की। 2016 में पिता गंगासिंह उदावत के देहांत के बाद उन्होंने परिवार के साथ रहकर खेती करने का फैसला किया था। तब से पीछे मुड़कर नहीं देखा।हेमेंद्रसिंह उदावत ने खेती के लिए बंजर जमीन को उपयोग में लाया। उसने बंजर जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती की।
हेमेंद्र सामान्य खेती के बजाय कुछ अलग करना चाहते थे। इसके लिए थाईलैंड और वियतनाम जाकर ड्रैगन फ्रूट पर रिसर्च की। 50 डिग्री तापमान में थाईलैंड के फ्रूट उगा दिए। इसके बाद गांव में ही 20 बीघा जमीन पर इसकी खेती शुरू की।शुरुआत में करीब 20 हजार पौधे लगाए। एक साल बाद ही 4 हजार किलो का प्रोडक्शन हुआ। अब हेमेंद्र सिंह हर साल 25 से 30 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं।
बंजर जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती करना आसान नहीं था। इसके लिए कई शहरों में घूमे। इसके बाद थाईलैंड में एक महीने की ट्रेनिंग ली। 2018 में 20 हजार पौधे लगाए। इनमें से 16 हजार पौधे थाईलैंड और वियतनाम से एक्सपोर्ट किए। 4 हजार पौधे गुजरात से मंगवाए थे।
हेमेंद्र ने 2010 में कम्प्यूटर साइंस की डिग्री राजस्थान यूनिवर्सिटी से की थी। इसके बाद हैदराबाद की ओेक्टेन सॉल्यूशन, पीएसएल आदि एमएनसी कंपनी में काम किया। इसके बाद ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में एनआईसी में स्मार्ट कार्ड के प्रोजेक्ट से जुड़े थे।
ड्रैगन फ्रूट के प्रोडक्शन और जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए हेमेन्द्रसिंह को 14 सितम्बर 2020 को कृषि विश्वविद्यालय की ओर से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया गया। हेमेंद्र अब दूसरे किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती के तरीके सिखाते हैं। उनके खेत को देखने के लिए देश भर से किसान आते हैं।
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