बीकानेर:(A camel lives for 40 to 50 years and the weight of a camel can be up to 600 kg): राजस्थान का नाम सुनते ही आंखों के आगे रेत ही रेत और रेगिस्तान का जहाज कहलाने वाले ‘ऊंट’ की तस्वीर बनने लगती है। पहले वक्त में प्रदेश के हर घर में एक से ज्यादा ऊंट पाए जाते थे, लेकिन धीरे-धीरे इनकी तादाद कम होती गई और अब प्रदेश के कुछ ही ग्रामीणों के पास एक या दो ऊंट देखने को मिलते हैं।
आपको बता दें कि ऊंट को कुछ साल पहले राजस्थान सरकार ने राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया है क्योकि ऊंट की चमड़ी मोटी होने के कारण ये रेगिस्तान की जलती रेत पर आराम से चल पाता है।
आपको बता दे कि एक ऊंट का 40 से 50 साल तक का जीवन रहता है और एक ऊंट का वजन करीब 600 किलो तक हो सकता है। आज हम आपको एक ऐसे पशुपालक के बारे में बताने जा रहे है जहां हर कोई एक आलीशान जीवन चाहता है तो वही जिसने आज के वक्त में भी 500 ऊंट पाल रखे है, वह इन पांच सौ ऊंटों को अकेला पाल रहा है।
ये पशुपालक की तस्वीर बीकानेर के मिठड़िया गांव की है और ये पशुपालक इसी गांव का रहने वाला है। ये काफी बुजु्र्ग है। इस पशुपालक ने बताया कि ये काम इनके यहां कई पीढ़ियां करती आ रही है इसलिए ये भी यही काम करते हैं। उन्होंने बताया कि इनके पास पहले करीब 1500 ऊंट थे, जिसमें अब 500 बचे हैं।
उन्होने बताया कि ऊंटनी से 1 से 2 क्विंटल दूध हो जाता है और उसके दूध से कई बीमारियों का इलाज हो जाता है। तो वहीं ऊंटनी के दूध से शुगर का इलाज भी होता है। उन्होने आगे बताया कि वे खुद भी ऊंटनी का ही दूध पीते हैं। ऊंट को रेगिस्तान का जहाज यूं ही नही कहां जाता, क्योंकि ये कई दिनों तक बिना खाए पिए रेगिस्तान की गर्म रेत में चल सकता है।
हालांकि जब भी ऊंट पानी पीता है, तो एक बारी में ही लगभग 150 लीटर पानी पी जाता है। कहते हैं कि ऊंट अपने कूबड़ में पानी को जमा कर लेता है, लेकिन यह बात गलत है, बल्कि इसके कूबड़ में पानी नहीं वसा जमा होता है, जो ऊंट के शरीर को ठंडा रखता है।