जयपुर: (Kuttu Ka Atta) जैसा आप जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि का त्योहार शुरू हो चुका है और इस दौरान लोग कुट्टू के आटे से बने पकवानों का सेवन करते हैं। जिसे खाने से लोग अक्सर बीमार पड़ जाते हैं। उन्हें उल्टी, दस्त और चक्कर आने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। तो आइए इस लेख में हम जानते हैं कुट्टू का आटा क्या होता है और इसे कैसे बनाया जाता है। साथ ही हम जानेंगे कि कुट्टू के आटे की शेल्फ लाइट कितनी होती है और कुट्टू का आटा असली है या नकली इसकी पहचान किस तरह से की जाती है।
कुट्टू को अंग्रेजी शब्दकोश में बकवीट (Buckwheat) कहा जाता है। इसका किसी भी तरह के अनाज से कोई संबंध नहीं होता है। कुट्टू लैटिन नाम का फैगोपाइरम एस्कलूलेंट है और यह पोलीगोनेसिएइ परिवार का पौधा है। इसे उसी तरह से प्राप्त किया जाता है जैसे किसी पौधे से फल या बीजों को प्राप्त किया जाता है। कुट्टू के बीजों को पीसकर उसका आटा बनाया जाता है जिसे कुट्टू का आटा कहते हैं।
बता दें कुट्टू के आटे में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन, मैग्नीशियम, आयरन, कैल्शियम, फॉलेट, मैंगनीज और फास्फोरस पाया जाता है। यह आटा ग्लूटन फ्री होता है और इसमें मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स भी पाए जाते हैं। ये ब्लड शुगर लेवल को सुधारने का काम करता है। बता दें कि 100 ग्राम कुट्टू के आटे में कैलोरी- 343 पानी- 10 फीसदी प्रोटीन-13.3 ग्राम कार्ब्स- 71.5 ग्राम शुगर-0 ग्राम फाइबर- 10 ग्राम फैट- 3.4 ग्राम मात्रा में पाए जाते हैं।
इतना ही नहीं कुट्टू के आटे में मैंगनीज पाई जाती है। जो हड्डियों को मजबूत रखने में मददगार साबित होती है। मैगनीज के कारण ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी का जोखिम भी कम होता है। अगर आप गिरते और पतले बालों से परेशान हैं तो कुट्टू का आटा काफी फायदेमंद है। क्योंकि इसमें आयरन, प्रोटीन और कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होता है जो बालों को मजबूत करता है।
कुट्टू आटा ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में भी कारगर है। इसमें में फाइबर के अलावा मैग्नीशियम भी पाया जाता है। यह शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। कुट्टू आटा का सेवन करने से सांस से संबंधित बीमारियों का खतरा भी कम होता है। अगर आप शुगर के मरीज हैं तो आपके लिए कुट्टू का आटा लाभकारी है। शुगर मरीज को कुट्टू के आटे की रोटी खाने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इससे शरीर को बहुत एनर्जी मिलती है, जिसकी वजह से शरीर की अंदरूनी कमजोरी दूर हो जाती है।
बता दें गेहूं के आटे की तुलना में कुट्टू के आटे की शेल्फ लाइफ कम होती है। कुट्टू के बीजों की शेल्फ लाइफ लगभग 6 महीना होती है। अगर आप इसकी शेल्फ लाइफ बढ़ाना चाहते हैं तो आप इसे फ्रिज में रख दें। इससे शेल्फ लाइफ लगभग 3 महीने तक बढ़ जाएगी। इसके अलावा कुट्टू के आटे को हमेशा सूरज की रोशनी और मॉइश्चर से दूर रखना चाहिए। क्योंकि, मॉइश्चर के संपर्क में आने से इसमें बैक्टीरिया और फंगस लग सकता है।
आज के समय में किसी भी चीज में मिलावट होना आम बात है। ऐसे में बाजार में मिलने वाले कुट्टू के आटे में भी कई तरह की मिलावट की जाती है। असली और नकली कुट्टू के आटे की पहचान उसके रंग से की जाती है। असली कुट्टू के आटे का रंग गहरा भूरा होता है। लेकिन अगर कुट्टू के आटे में किसी तरह की मिलावट की जाती है या वह खराब हो जाता है और उसका रंग बदल जाता है। मिलावटी या खराब कुट्टू के आटे का रंग ग्रे या हल्का हरा दिखाई पड़ सकता है।
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