(इंडिया न्यूज),जयपुर: (If you want to play Holi with a whip, then come to my state) होला का त्योहार आने को है और इस मौके पर लोग एक दूसरे को रंग लगाकर खुब मस्ती करते नजर आएंगे। होली एक ऐसा त्योहार है, जिस मौके पर विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग रोमांचक तस्वीरें देखने को मिलती हैं। इस त्योहार पर अलग-अलग शहरो- देशो में अलग-अलग तरह से यह त्योहार मनाया जाता है। इसी वजह से इस त्योहार को अलग-अलग नाम भी दिए गए है।
इस त्योहार में खास तौर पर पुरुषों को पीटने की एक अनोखा परंपरा भी है। ब्रज की होली के बारे में तो आप बखूबी जानते ही होंगे, यहां होली उत्सव में कभी लड्डू मार होली होती है तो कभी लट्ठ मार होली है। दोनों ही प्रकार की होली देश, दुनिया में काफी प्रसिद्ध है। लेकिन दिलचस्प बात ये कि दोनों ही रिवाजों में महिलाओं द्वारा पुरुषों को पीटा जाता है।
इस त्योहार पर पुरुषों को पीटने का एक और अनोखा रिवाज राजस्थान में भी देखा जाता है। यहां भी महिलाएं होली के मौके पर पुरुषों को पीटती हैं। यहां इस त्योहार को कोड़ा मार होली कहा गया है। लोग इस दिन पूरे आयोजन का वीडियो बनाते हैं, तस्वीरें खींचते हैं और उन वीडियोज और तस्वीरों को मनोरंजन के लिए एक-दूसरे को प्रसन्नता के साथ शेयर करते हैं। इस प्रकार लोग होली का जमकर आनंद उठाते हैं। होली मनाने की इस अनोखी परंपरा में महिलाएं पुरुषों को कोड़े से पीटती हैं। चारो ओर रंग बिरंगी नजारे होते हैं।
दरअसल ये कोड़ा मार होली वास्तव में भाभी और देवर के बीच की होली होती है। इससे उनका रिश्ता ओर भी मजबूत बनता है। यह अनोखा त्योहार धुंडेली के दूसरे दिन देखने को मिलता है। महिलाएं सज-सवर कर आती हैं और सामूहिक तौर पर फाग गाती हैं। इस त्योहार को और रंग बिरंगा बनाने के लिए बीच सड़क पर एक बड़ा सा टब रखा जाता है। उसमें रंग भरे होते हैं। देवर भाभी यहां जुटते हैं और होली खेलते हैं। इसी दौरान भाभियां कोड़े को रंगों से भिगोती है और देवर की पीठ पर मारती है। कोड़े बरसाने का ये कार्यक्रम वास्तव में हंसी ठिठोली का हिस्सा होता है। भारी संख्या में लोग इस मौके पर वहां जुटते हैं और फाग के इस अनोखे उत्सव में हिस्सा लेते हैं।
कहते हैं राजस्थान में कोड़ा मार होली की परंपरा 200 साल पुरानी है। बता दे कि कोटा और भीलवाड़ा में भी जमकर कोड़ा मार होली खेली जाती है। कोड़ा मार होली के दौरान आमतौर पर पुरुषों और महिलाओं के बीच रोमांचक मुकाबला भी देखने को मिलता है। दो-तीन दिन पहले से इसकी तैयारी देखने को मिलती है। राजस्थानी लोगों के अनुसार ये परंपरा रियासतकालीन परंपराओं में से एक है। खास बात ये कि रंग डालने और कोड़े बरसाने में किसी तरह का भेदभाव नहीं देखा जाता है। ना ही किसी तरह की दुश्मनी ही देखने को मिलती है।
मन से हर प्रकार के द्वेष भाव निकालकर लोग कोड़ा मार होली का आनंद उठाते हैं। अमीर, गरीब सभी समुदायों में इस रिवाज को देखा जा सकता है। अजमेर के भिनाय में कोड़ा मार होली देखने लायक मनाई जाती है। महिलाओं का समूह और पुरुषों का समूह आमने-सामने होता है। दोनों समूह एक दूसरे को ललकारता है। पुरुष डोलची से रंगों का प्रहार करते हैं तो वही महिलाएं उन पर कोड़े बरसाती हैं। जोश और उत्साह में कई बार इस खेल को देखने वाले दंग रह जाते हैं। खेल का जोश ऐसा कि लोगों की रुह कांप जाए।