Rajasthan: राजस्थान के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी अब जिले की ग्राम सेवा सहकारी समितियां जल्द ही हाइटेक होगी। सरकारी बैंकों की तर्ज पर ग्राम सेवा सहकारी समितियों में खाते खोले जाएंगे। ऐसे में किसान घर बैठे लेन-देन का कार्य कर सकेंगे। उधर, प्रथम चरण में सवाईमाधोपुर जिले की 106 व करौली की 58 जीएसएस के भेजे प्रस्ताव बनाकर उच्चाधिकारियों को भेजे है। प्रदेश में सहकारिता की अहम कड़ी मानी जाती रही ग्राम सेवा सहकारी समितियों के सदस्य किसानों को अब सुविधा मिल सकेगी। सरकार की ओर से जल्द ही ग्राम सेवा सहकारी समितियों को कंप्यूटराइज्ड किया जाएगा।
ग्राम सेवा सहकारी समितियों में कार्य ऑनलाइन होने से कामकाज में पारदर्शिता भी आएगी। वर्तमान में जिन समितियों में कार्य ऑनलाइन हो रहा है, वहां किसानों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं आ रही है। सभी काश्तकारों को भूमि के अनुरूप ही खाद वितरित किया जा रहा है। अगर इसी तरह सभी सहकारी समितियां ऑनलाइन हो जाएंगी तो किसानों को भी फायदा होगा। इसके साथ ही किसानों को राज्य सरकारी की विभिन्न योजनाओं की भी ग्राम सेवा सहकारी के माध्यम से जानकारी मिल सकेगी।
डीएमएलआइसी की बैठकों के बाद दो जिलों की 164 जीएसएस को कम्प्यूटरीकृत करने के दस्तावेज नाबार्ड को भेजे गए हैं।ग्राम सेवा सहकारी समितियों के कम्प्यूटराइजेशन की योजना केन्द्र राज्य व नाबार्ड की संयुक्त योजना है। इसका मकसद देशभर में ग्राम सहकारी समितियों को कम्प्यूटराइजेशन के जरिए एक प्लेटफॉर्म पर लाना है। जीएसएस के कम्प्यूटराइजेशन से किसानों को कॉमन सर्विस सेंटर की तर्ज पर सुविधा मिलेंगी। इसमें सदस्य किसान को डीबीटीएलए खाद-बीज वितरण, आधार कार्ड, पैन कार्ड व पहचान के दस्तावेजों में संशोधन व नए बनाने के काम हो सकेंगे। इसके लिए हर जीएसएस पर करीब चार लाख रुपए खर्च होने हैं। योजना में नाबार्ड की ओर से कम्प्यूटरीकृत सॉफ्टवेयर उपलब्ध करवाए जाएंगे। हार्डवेयर में हर सोसाइटी पर कम्प्यूटर, प्रिंटर,बॉयोमेट्रिक स्केनर लगेंगे। इसमें केन्द्र का 60, राज्य सरकार 30 और नाबार्ड का 10 फीसदी हिस्सा होगा।