16 महीने की उम्र में बनी बालिका वधु 19 साल बाद मिली मुक्ति, जानें संगीता की पूरी कहानी

India News (इंडिया न्यूज़),Child Marriage In Rajasthan,जयपुर: राजस्थान में आज भी लोग अपने बच्चों का विवाह बहुत ही छेटी उम्र में कर देते है। जिसे बालविवाह भी कहा जाता है। ऐसा ही एक मामला प्रदेश से एक बार फिर उछल रहा है। दरअसल बता दें कि राजस्थान में आखातीज, मौसर और आठासांठा के चलते बाल विवाह के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं और इस बार महज 6 महीने की अबोध बालिका संगीता को आंटासांठा परंपरा के चलते दुल्हन बना दिया गया। यही नहीं दूल्हा दुल्हन को थाली में बिठाकर विवाह की रस्मों को निभाया गया।

संगीता को आंटासांठा की परंपरा के चलते बालविवाह की बेड़ियों में जकड़ दिया गया। हालाकिं अब 19 साल बाद संगीता को इस बालविवाह से मुक्ति मिल गई है। उसने जब इस बाल विवाह का विरोध किया तो उसे अपने परिवार और समाज के लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा, लेकिन काफी दिक्कतो का सामना करने के बाद आखिरकार अब संगीता इस बाल विवाह निरस्त करवाने में कामयाब रही।

संगीता ने बाल विवाह से मुक्ति पाई

संगीता बिश्नोई अपना बाल विवाह निरस्त करवाने के लिए सबसे पहले जिओ संस्था कि रूपवती देवड़ा से मिलीं। उनसे सलाह लेने के बाद संगीता ने बाल विवाह से मुक्ति के लिए अधिवक्ता राजेंद्र सोनी के मार्फत पारिवारिक कोर्ट में इस विवाह को निरस्त की गुहार लगाई। इस मामले में जोधपुर के फैमिली कोर्ट के जस्टिस मुजफ्फर चौधरी और आर.एच.जे. एस. ने इस कुरीति के खिलाफ कड़ा संदेश देते हुए संगीता का बाल विवाह निरस्त करने का फैसला सुनाया।

हिंदू रीति रिवाज के अनुसार रस्में निभाई गई

बता दें कि जोधपुर निवासी 21 वर्षीय संगीता की शादी 24/08/2004 को दादा अमराराम के मौसर के दौरान हुई थी। तब वो मात्र 16 महीने की अबोध थी। इसमें हिंदू रीति रिवाज के अनुसार रस्में निभाई गई और विवाह हुआ। इसके बाद आठासांठा के चलते दोनों परिवारों में झगड़े शुरू हो गए। संगीता के ससुराल वाले विदाई को लेकर धमकाने लगे, लेकिन संगीता इस विवाह को मानने को तैयार नहीं थी। आखिरकार संगीता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने संगीता के विवाह को निरस्त कर दिया है।

वो पढ़ लिखकर आगे बढ़ना चाहती है

संगीता ने बताया कि वो पढ़ लिखकर आगे बढ़ना चाहती है। उसका सपना टीचर बनने का है। कोर्ट ने उसके बाल विवाह को निरस्त कर दिया। यह उसके जीवन की सबसे बड़ी खुशी है। उन्होंने आगे यह बताया कि अब वो अपने सपनों को पूरा कर पाएंगी। साथ ही संगीता ने लोगों से कहा कि लड़कियां कोई बोझ नहीं हैं। बाल विवाह जैसी कुरीतियों को समाज से बाहर निकालना जरूरी है। बाल विवाह के चलते बचपन गुम हो जाता है।

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Nisha Parcha

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