(जयपुर): राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि आने वाले बजट में गहलोत सरकार नए जिलों की घोषणा करेगी। ऐसा इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि सरकार ने नए जिले गठन करने के लिए रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। अभी इस कमेटी का कार्यकाल भी बढ़ा दिया है।
प्रदेश के 24 जिलों से 60 शहर जिले की कतार में हैं। यह कमेटी इन शहरों का सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करने में जुटी है। सूत्रों के मुताबिक, जनवरी या फरवरी में पेश होने वाले राज्य बजट में नए जिलों की घोषणा की जाएगी।
राजस्थान में यूं तो 60 शहर जिले की दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन इनमें कुछ शहर ही ऐसे हैं जो जिले की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं और जो जिला बनने की योग्य भी हैं। इनमें अजमेर जिले से ब्यावर का नाम पहले पायदान पर आ रहा है।
ऐसा माना जा रहा है कि अगर नए जिलों की घोषणा होती है, तो ब्यावर पहले नंबर पर होगा। ब्यावर राजस्थान का तेरहवां बड़ा शहर है। दूसरे नंबर पर बाड़मेर जिले से बालोतरा की किस्मत पलट सकती है। बालोतरा विधायक मदन प्रजापत ने जिला नहीं बनने तक नंगे पैर रहने की घोषणा कर रखी है।
अपको बता दे कि पिछले बजट सत्र में बालोतरा को जिला घोषित नहीं करने पर एमएलए ने विधानसभा परिसर में ही जूते त्याग दिए थे। ब्यावर और बालोतरा के अलावा सीकर से नीमकाथाना, जोधपुर से फलौदी, नागौर से डीडवाना, जयपुर से कोटपूतली को जिला बनाने की मांग लंबे समय से हो रही है। अगर नए जिलों की घोषणा होगी तो इन शहरों को सरकार की सौगात मिल सकती है।
ऐसा नहीं है कि नए जिलों के लिए पहली बार कमेटी का गठन हुआ हो। इससे पहले भी भाजपा शासन में वसुंधरा राजे सरकार ने वर्ष 2014 में रिटायर्ड IAS परमेश चंद की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई थी। उस कमेटी ने वर्ष 2018 में सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी लेकिन सरकार ने उस रिपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया। आज तक वो रिपोर्ट सार्वजनिक भी नहीं की गई।
इसके बाद सत्ता परिवर्तन हो गया और सूबे में अशोक गहलोत सरकार काबिज हो गई इसके बाद वही हुआ जनता को जिसका डर था, नई सरकार ने पुरानी कमेटी की रिपोर्ट मानने से मना कर दिया। सीएम गहलोत ने रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में फिर नई कमेटी बनाई।
भौगोलिक दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में इस समय 33 जिले हैं। बता दे कि 33वां जिला प्रतागढ़ 14 साल पहले साल 2008 में बना था। तब वसुंधरा राजे सरकार ने इस जिले की घोषणा की थी।
इसके बाद मांग लगातार बढ़ती गई मगर किसी नए जिले की घोषणा नहीं हुई। वर्ष 1981 तक राजस्थान में 26 ही जिले थे, जो बढ़कर 33 हो गए हैं। आने वाले वर्षों में यह संख्या 40 तक पहुंच सकती है।