Rajasthan: राजस्थान अपनी कई परंपराओं, संस्कृति और पर्वों को विशेष उत्साह के साथ मनाए जाने के लिए विश्व भर में जाना जाता है। जहां आज भी कई विशेष पर्वों को लेकर लोगों में भारी उत्साह नजर आता है। होली के बाद गणगौर मैया का त्योहार भी राजस्थानी लोक संस्कृति का एक प्रमुख त्योहार होता है। जिसे राजधानी जयपुर में गणगौर मैया की भव्य सवारी निकालकर बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है। कोई समय था जब राजाशाही जमाने में धार्मिक नगरी करौली में भी राजसी ठाट-बाट से गणगौर मैयाकी सवारी निकला करती थी, लेकिन कुछ सालों से गणगौर की सवारी नहीं निकल रही थी। ऐसे में अग्रवाल समाज की महिलाओं ने जयपुर की तर्ज पर छोटे स्वरूप में गणगौर माता की सवारी निकाल ने बाद, इस परंपरा को एक नया जीवनदान दिया है। जिसका सभी महिलाओं ने जमकर आनंद उठाया।
रैली में आई महिला तरुणा गोयल ने बताया कि सवारी में हमने अपनी एक महिला साथी को शिव जी के रूप में दूल्हा बना कर तैयार किया गया और दूसरी साथी ही महिला को पार्वती माता यानी की गणगौर मैया के रूप में सजाया गया था। हमारे महिला मंडल की यहीं कोशिश है कि करौली में ये खत्म होती परंपरा आगे भी कायम हो जाए।
राजस्थान के जयपुर की तर्ज पर छोटे स्वरूप में गणगौर मैया की इस सवारी का मुख्य उद्देश्य इस प्राचीन परंपराओं को बढ़ावा देता है। बता दें की करौली में इस लुप्त होती परंपरा को फिर स्थापित करना है। इसी के चलते महिला मंडल ने 16 श्रृंगार करके गणगौर मैया की अद्भुत और आकर्षक सवारी निकाली थी। वहीं, करौली की सभी महिलाएं आनंद उठाते हुए इस परंपराओं को बचाने के लिए ऐसी सवारी निकालें। जिससे सभी लोग खुश हो जाए।