इंडिया न्यूज़, अजीत मैंदोला (Congress President Election): अध्य्क्ष के चुनाव की घोषणा के बाद केंद्र में तो कांग्रेस आलकमान अपनों के हमलों से जूझ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ राजस्थान में मुख्य्मंत्री अशोक गहलोत को भी अपनों ने अस्थिर करने की कोशिशें शुरु कर दी है। पार्टी के अंदर विरोधी गुट द्वारा बैठके कर माहौल बनाया जा रहा है कि 24 सितंबर के बाद गहलोत की जगह वह मुख्य्मंत्री होंगे।
क्योंकि इस दिन से पार्टी अध्य्क्ष पद के लिए नामकन शुरु होगा। विरोधियों को लगता है कि गहलोत ही नामांकन दाखिल करेंगे। इस तरह उनको मोका मिलेगा। जबकि सूत्रों का कहना ऐसा कुछ नही होने जा रहा है। सूत्रों की माने तो आजाद के इस्तिफे के बाद उठ रहे सवालों को देखते हुये पार्टी पहले राहुल को नहीं माने तो फिर सोनिया गांधी को ही अध्य्क्ष बनाये रखने पर विचार कर रही है।
उधर जयपुर में विरोधी गुट की अगुवाई सचिन पायलट के करने की खबरें है। सूत्रों का कहना तो कि जयपुर में विरोधी गुट की तरफ आज बीते दो दिनों में अपने समर्थक विधायकों को तैयारी करने के लिए बुलाया गया तो कुल सात आठ विधायक ही पहुंचे। ऐसा पहली बार नही हुआ। विरोधी गुट की तरफ से हर महीने मीडिया में माहौल बना गहलोत सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जाती रही है। लेकिन कमजोर केंद्रीय नेतृत्व और प्रभारी के चलते विरोधियों के होंसले बढ़ते जा रहे है।
सचिन पायलट के जन्म दिन 7 सितंबर से पहले उनके समर्थक 6 सितंबर को एक बड़े आयोजन की तैयारी कर शक्ति प्रदर्शन करेंगे। इसका नतीजा यह है बीजेपी कांग्रेस की अंदुरूनी लड़ाई से गदगद है। मुख्य्मंत्री गहलोत गैरो से ज्यादा अपनों से जूझ रहे है। जब से राष्ट्रीय अध्य्क्ष पद के लिए गहलोत का नाम मीडिया ने चलाया विरोधियों के हौसले बुलंद है। आलाकमान की हालत यह हो है कि वह अब खुद चौतरफा घिर गया है।
गुलाम नवी आजाद के इस्तिफे के बाद पार्टी के कई नेताओं ने चुनाव पर ही सवाल उठा आलकमान को परेशानी में डाल दिया है। राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे ठकराव का असर राजस्थान के बाद हरियाणा पर भी पड़ा है। दो बड़े नेता आमने सामने आ गये है। पूर्व प्रदेश अध्य्क्ष कुमारी शैलजा ने आलाकमान से पार्टी के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ करवाई की मांग की है। उन्होंने पत्र लिख कर कहा है हुड्डा पार्टी छोड़ चुके गुलाम नवी आजाद से मिल रहे है इसलिए करवाई होनी चाहिए। यह मामला आने वाले दिनों में बढ़ेगा। आजाद के इस्तिफे के बाद पार्टी में लगातार विरोध के सुर उठ रहे है। आशंका यहां तक जताई जा रही है कि अध्य्क्ष के चुनाव में कोई अड़चन न पड़ जाये।
आलकमान पहले से गंभीर रहता तो केंद्र और राज्यों में स्थिति को संभाला जा सकता था। खास तोर पर राजस्थान में। लेकिन राजस्थान में आलाकमान ने बीते ढाई साल में एक बार भी कोशिश नही की कि सरकार को अस्थिर करने वालों को चेताया जाये। हालंकि ढाई साल पहले बागी विधायकों की अगुवाई करने वाले सचिन पायलट को पार्टी ने प्रदेश अध्य्क्ष पद से हटाने के बाद आज तक उन्हे कोई पद नहीं दिया।जानकारों का कहना है गांधी परिवार ढाई साल पहले गहलोत सरकार को गिराने की कोशिशों को भूला नही है।
एक तरह से गांधी परिवार को कमजोर करने की कोशिश थी। इसके बाद कई सबूत गांधी परिवार के पास पहुंचे है। यही वजह है कि उनके जूनियर हरीश चौधरी और रघु शर्मा जैसे नेताओं को पार्टी ने प्रमोशन दे राज्यों का प्रभारी बनाया। लेकिन उन्हे अभी तक खाली रखा गया है। हालंकि सचिन ने मीडिया के माध्य्म से अपने को राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में चर्चा में बनाये रखा हुआ है। इस खींचतान से पार्टी को कहीं ना कहीं नुकसान हो रहा है।
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