India News (इंडिया न्यूज़), Dussehra 2023: दशहरे का पर्व आश्विन माह के उत्तरार्ध में नवरात्र के बाद मनाया जाता है। हमारे देश में दशहरा बहुत धुमधाम से मनाया जाता है। दशहरे पर बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने रावण का वध किया था। इस दिन सभी लोग एक साथ मिठाइयां बांटकर उत्सव का आनंद लेते हैं, जिससे सामाजिक एकता की भावना को भी बल मिलता है। इस उत्सव पर रंग-बिरंगे जुलूस, रावण के पुतलों का दहन याद दिलाता हैं कि दृढ़ संकल्प और विश्वास से बुराई पर अच्छाई की जीत होती है।
आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु ने यूट्यूब चैनल सद्गुरु लाइफ द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो में बताया कि कैसे रावण पर भगवान राम की जीत और सीता के बचाव के बाद लंका से अयोध्या लौटने की उनकी यात्रा में अप्रत्याशित मोड़ आया। श्री राम ने अयोध्या में जाने की बजाय हिमालय जाने की इच्छा व्यक्त की। भाई लक्ष्मण के द्वारा प्रश्न करन पर राम जी ने उत्तर में कहा कि हर व्यक्ति के चरित्र में कई पहलू होते हैं। अब वह समय है कि सराहनीय गुणों के सागर रावण के वध का पश्चाताप किया जाए।
आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु बताते हैं कि भगवान राम, जिन्होंने सीता को रावण से बचाने के लिए एक सेना इकट्ठी की थी, बाद में उन्होंने रावण को मारने के लिए माफी मांगी और इसका श्रेय अपने व्यक्तित्व में से एक दुर्गुण को दिया। कई लोगों का मानना है कि वह रावण ही था, जिसने शिव तांडव स्तोत्रम् लिखा था। कुछ लोग यह भी तर्क देते हैं कि वह सीता की पसंद का सम्मान करता था, बंधक बनाए रखने के दौरान उन्हें एक बार भी छूआ तक नहीं था। सद्गुरु कहते हैं कि लोग जटिल हैं और हमें उन्हें आंकने या उन पर लेबल लगाने से बचना चाहिए।
सद्गुरु बताते हैं कि अलग-अलग क्षणों में हमारी भावनाएं कैसे नियंत्रित हो सकती हैं। हम क्रोधित, ईर्ष्यालु, उदास, प्रेमपूर्ण यहां तक विभिन्न स्थितियों में सुंदरता देख सकते हैं। कहा कि लोग तुरंत निर्णय ले लेते हैं। जब हम किसी को कुछ ऐसा करते हुए देखते हैं जो हमें नापसंद है तो हम अक्सर उसे बुरा, ईर्ष्यालु या बहुत क्रोधी करार देते हैं। दूसरी ओर समझना जरूरी है कि कोई भी व्यक्ति हर समय एक जैसा नहीं होता।
श्री राम ने रावण के चरित्र के एक सुंदर पहलू को पहचानना उनकी गहन बुद्धिमत्ता को दर्शाता है। सद्गुरु कहते है कि एक गुलाब के पौधे में गुलाब की तुलना में अधिक कांटे होते हैं, लेकिन हम फिर भी इसे गुलाब का पौधा ही कहते हैं, कांटेदार पौधा नहीं।