Sunday, July 7, 2024
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कोरोना के डर से शिक्षा मंत्री ने बढ़ाई छोटे बच्चों के स्कूल की सुरक्षा

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जयपुर: (New Education Policy in Rajasthan) बढ़ते कोरोना के प्रकोप को देखते हुए राजस्थान के शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला (Dr. BD Kalla) ने कहा कि हर छह-छह महीने पर छोटे बच्चों के परिजनों और अध्यापकों का मेडिकल टेस्ट होना चाहिए। अगर कोई बीमारी हो तो उसका इलाज भी हो सके। इस दौरान उन्होंने नई शिक्षा नीति (New Education Policy) पर भी कई बातें कहीं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार उचित बजट नहीं दे पा रही है।

कोरोना काल में एआई के जरिये बच्चों को लाभ दिया

उन्होंने यह भी कहा कि हम तो नए प्रयोगों के पक्षधर हैं। लगातार नया-नया प्रयोग कर रहे हैं। कोरोना काल में भी एआई ( आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ) के जरिये बच्चों को लाभ दिया गया। इसके सात ही कल्ला ने बुधवार 15 मार्च को कहा कि डेढ़ साल के बच्चे को मोबाइल देकर हम उसे रेडिएशन की गिरफ्त में भेज देते हैं। इससे बच्चों का नुकसान हो जाता है। इसलिए उन बच्चों को रेडिएशन से बचाने के लिए काम करना होगा।

स्कूलों में संसाधनों का विकास होगा-बीडी कल्ला

शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने आगे कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बेहतर तरीके से क्रियान्वयन के लिए अतिक्ति बजट की जरूरत है। इससे स्कूलों में संसाधनों का विकास होगा। नई नीति जारी हुए दो साल हो गए, लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी तक इस संबंध में कोई अतिरिक्त बजट जारी नहीं किया है।

झालाना स्थित शिवचरण माथुर सोशल पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के राजस्थान में क्रियान्वयन को लेकर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में कल्ला ने कहा कि खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाएं। यह पक्ष तो अच्छा है, लेकिन इसके लिए तैयारी पूरी नहीं है। जैसे शिक्षकों की ट्रेनिंग की कोई व्यवस्था नहीं है। वैसा ही आधारभूत ढांचा तैयार होना चाहिए।

सेमिनार के समन्वयक डॉ. मनीष तिवारी ने भी यह बताया

शिवचरण माथुर सोशल पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक व सेमिनार के समन्वयक डॉ. मनीष तिवारी ने बताया कि सेमिनार को पूर्व आईएएस व शिक्षाविद् प्रदीप बोरड़, राजस्थान सरकार के समसा कमिश्नर एमएल यादव और यूनिसेफ राजस्थान की चीफ इशाबेल बार्डेम ने भी संबोधित किया। तिवारी ने यह भी बताया कि सेमिनार के प्रथम सत्र में ‘शैक्षणिक संरचना का पुनर्गठन’, दूसरे सत्र में ‘बुनियादी शिक्षा और निपूर्ण भारत’ और तीसरे सत्र में ‘शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण और समसामयिक बनाने के लिए डिजिटल टूल्स का बेहतर उपयोग कैसे हो’ इस पर मंथन हुआ।

 

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