(इंडिया न्यूज),जयपुर: (Assembly proceedings resume from today after break) करीब 1 सप्ताह ब्रेक के बाद विधानसभा की कार्यवाही आज से फिर शुरू हो रही है। आज यानी मंगलवार को भाजपा विधायक दल की बैठक भी सुबह आयोजित की जाएगी। फिलहाल माना जा रहा है कि उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौर ही विधायक दल की बैठक लेंगे।
वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और प्रभारी रंधावा तीनों ही कांग्रेस आलाकमान से चर्चाओं और मंत्रणा के बीच मुख्य सचेतक और उपाध्यक्ष को लेकर जल्द ही मुहर लगवा सकते हैं। कुल मिलाकर देखना होगा कि आज से लंबे ब्रेक के बाद फिर शुरू हो रही विधानसभा में क्या कुछ नजारा देखने को मिलता है ?
अपको बता दे कि विधानसभा अध्यक्ष बनने के तुरंत बाद उपाध्यक्ष नहीं बनते है। कई सरकारों में विधानसभा उपाध्यक्ष बनने में देरी होती रही है। पिछली बार भी वसुंधरा सरकार में राव राजेंद्र सिंह को मौका थोड़ा देर से मिला तो वही अशोक गहलोत की पूर्ववर्ती सरकार के दौरान रामनारायण मीणा को भी मौका मिलने में देरी हुई थी। ऐसे में अब चुनाव में महज 1 साल से भी कम का समय रह गया है।
इसलिए माना जा रहा है कि जल्द ही विधानसभा उपाध्यक्ष की नियुक्ति हो सकती है। ऐसे में राजेंद्र पारीक सरीखे किसी वरिष्ठ विधायक को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। वहीं डॉ जितेंद्र सिंह या फिर अन्य किसी वरिष्ठता व्यक्ति को विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाकर संतुलन बैठाया जा सकता है।
1 सप्ताह के ब्रेक के बाद विधानसभा की कार्यवाही के बीच एक बड़ा सवाल राजनीतिक जानकारों से लेकर आम आदमी के जेहन में ऊठ रहा है। वह सवाल है कि आखिरकार नेता प्रतिपक्ष तो दूसरी तरफ सत्ता पक्ष में मुख्य सचेतक और विधानसभा उपाध्यक्ष किसे नियुक्त किया जाएगा। यह तीनों भूमिका निभाने वाले नेताओं के नामों को लेकर दोनों ही पार्टियों में मंथन का दौर चल रहा है। बजट सत्र के दौरान राजस्थान विधानसभा में दो महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं।
पहला बदलाव नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को असम के राज्यपाल की जिम्मेदारी मिलना और नेता प्रतिपक्ष का पद खाली हो जाना तो वही दूसरी तरफ मंत्री महेश जोशी जोकि मुख्य सचेतक की जिम्मेदारी सत्तापक्ष की ओर से निभा रहे थे। उन्होंने भी अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। ऐसे में अब सदन में नेता प्रतिपक्ष और सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक के पद खाली हो चुके हैं। तो वहीं विधानसभा उपाध्यक्ष का पद सरकार बनने के समय से लगातार खाली चल रहा है। अब इन तीनों ही पदों को भरने की कवायद चल रही है।
भारतीय जनता पार्टी इस दौर में फैसले करने में ज्यादा देर नहीं करती है लेकिन इस बार नेता प्रतिपक्ष कटारिया के राज्यपाल बनने के बाद से भाजपा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली चल रहा है। इस बात की चर्चा जोरो पर है कि उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को पार्टी नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दे सकती है।
हालांकि इस फेहरिस्त में पार्टी के अंदरूनी सहमति और सियासी संतुलन के खेल में किसी अन्य वरिष्ठ विधायक को मौका मिलने की भी कुछ संभावना नजर आती है। अगर राजेंद्र राठौड़ को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी मिलती है तो फिर तय मानकर चलिए कि किसी अन्य विधायक की भी उप नेता प्रतिपक्ष के तौर पर नियुक्ति होगी।
वहीं महेश जोशी के द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद अब सरकारी मुख्य सचेतक का पद खाली है। ऐसे में इस बात की संभावना है कि महेंद्र चौधरी का प्रमोशन हो जाए और वह उप मुख्य सचेतक से मुख्य सचेतक बन जाए। लेकिन इसमें भी उप मुख्य सचेतक का पद खाली रहेगा तो उसे भरने के लिए फिर से किसी अन्य विधायक को मौका मिलने वाला है। यदि महेंद्र चौधरी का प्रमोशन नहीं होता है तो पार्टी के किसी वरिष्ठ विधायक को जातिगत संतुलन और सियासी संतुलन के लिहाज से मुख्य सचेतक के पद का मौका मिल सकता है।