जयपुर: (right to health bill) राजस्थान सरकार, जनता को स्वास्थ्य की देखभाल के लिए कानूनी आधिकार देना चाहती है। इसलिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राइट टू हेल्थ बिल लेकर आए है। बता दें कि यह बिल विधानसभा में पेश होकर पारित हो चुका है लेकिन प्रदेश के डॉक्टर इसके विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं। चंता की बात यह है कि पिछले एक सप्ताह से राजस्थान में निजी चिकित्सालय बंद हैं। घरों पर भी डॉक्टर मरीजों को कोई सलाह नहीं दे रहे हैं। निजी अस्पतालों के समर्थन में सरकारी डॉक्टरों ने भी 2-2 घंटे का कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है और रेजिडेंट्स भी इस विरोध में उतर गए।
राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में निजी अस्पताल संचालकों और डॉक्टरों की हड़ताल कई दिनों से जारी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर रविवार यानी 26 मार्च को दोपहर 3 बजे डॉक्टर्स प्रतिनिधियों की अफसरों के साथ वार्ता हुई। इस वार्ता के दौरान डॉक्टरों ने सरकारी अधिकारियों की कोई बात नहीं सुनी। डॉक्टरों ने दो टूक कहा कि उन्हें राइट टू हेल्थ बिल मंजूर नहीं है, इसे वापस लीजिए। इतना कहकर डॉक्टर बैठक से उठे और सचिवालय से बाहर चले गए। प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम सोसायटी के सचिव डॉ. विजय कपूर ने बताया कि हम सचिवालय में वार्ता करने गए थे। हमने कहा कि यह बिल असंवैधानिक है। हम मुख्यमंत्री के अलावा किसी से बात नहीं करेंगे। चूंकि मुख्यमंत्री दिल्ली गए हुए थे। ऐसे में वे बैठक में शामिल नहीं हो सके।