Rajasthan: राजस्थान में ‘राइट टू हेल्थ’ बिल को लेकर डॉक्टर्स का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। वहीं डॉक्टर्स ने सरकारी योजनाओं को निजी अस्पतालों में बंद करने का फैसला लिया है। बता दें कि प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम्स सोसायटी के सेक्रेटरी डॉ. विजय कपूर ने बताया कि प्रदेशभर में प्राइवेट हॉस्पिटल ने सरकारी स्कीम्स को बंद करने की लिखित सहमति दे दी है। ऐसे में 1 अप्रैल से राजस्थान के सभी के प्राइवेट हॉस्पिटल में सरकारी स्कीम्स के मास डीएम्पेनेलमेंट की कार्रवाई को पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद मुख्यमंत्री ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को डॉक्टर्स की समस्या सुनने के लिए अधिकृत किया है। ऐसे में अब राइट टू हेल्थ बिल को लेकर डॉक्टर्स की समस्याओं की सुनवाई गोविंद सिंह डोटासरा करेंगे। इसके बाद ही सरकार के स्तर पर कुछ फैसला हो सकेगा।
वहीं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि बिल वापस किसी कीमत पर नहीं होगा। ये सभी डॉक्टर्स को बता दिया गया है। हमने सभी डॉक्टर्स की मांगे मानी हैं। इसके बाद भी अगर कोई बात छूट गई हो है। तो रूल्स में डाल देंगे। हमें बिल वापसी के अलावा सारी बातें मंजूर हैं। बिल वापस करने की बात करने का डॉक्टर्स का अधिकार नहीं है। क्योंकि ये बिल विधानसभा में सर्वसहमति से ही पास हुआ है। जो गवर्नर के पास जा चुका है, जहां से भी जल्द ही स्वीकृत होने वाला है।
राज्य में छोटे-बड़े मिला कर क़रीब नौ हजार अस्पताल डॉक्टर्स एसोसिएशन के आह्वान पर पूरी तरह बंद रहे। बता दें कि जयपुर के केलगिरी मार्ग पर मौजूद रूंगटा अस्पताल के बाहर दो एंबुलेंस खड़ी हैं। गेट पर सुरक्षाकर्मी मौजूद हैं। वो कहते हैं, अंदर कोई नहीं है। 22 मार्च से ही अस्पताल बंद है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार और सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा बीबीसी से फ़ोन पर कहते हैं, मैं ख़ुद अभी ज़िला अस्पताल में मौजूद हूं। हमने ग्रामीण क्षेत्र से डॉक्टर बुलवाए हैं ताकि मरीजों को तक़लीफ़ न हो।
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