इंडिया न्यूज़, Dungarpur News: डूंगरपुर जिले के सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य प्रवीण कुमार भट्ट को एक सरकारी (बाबू) ने विश्वास दिलाकर ढाई करोड़ रुपये की रकम को अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया। हुआ कुछ ऐसा की बाबू ने प्रधानाचार्य का विश्वास जीतकर उनके डिजिटल हस्ताक्षर चोरी कर लिए और उससे स्कूल के लिए आई हुई गारंट की रकम को अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया। जैसे ही कोष कार्यालय से फ़ोन आने पर खता बदलने का पता चला तो प्रधानाचार्य ने चीतरी थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज करवा दिया।
जिले के सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य के डिजिटल साइन की सहायता से एक सरकारी बाबू ने स्कूल के सरकारी कोष की रकम अपने खाते में ट्रांसफर करवा ली और जैसे ही कोष कार्यालय से इस विषय में जानकारी के लिए फोन आया की खता क्यों बदला गया है तब जाकर इस बात का खुलासा हुआ।
फिर उस सरकारी बाबू पर कार्यवाही करते हुए उसे निलंबित कर दिया गया। जो 4 महीने पहले ही ट्रांसफर होकर आया था। इस मामले को देखकर पूरा शिक्षा विभाग हैरान रह गया की इतनी बड़ी रकम ट्रांसफर कैसे हो गई। सरकारी बाबू को दोषी मानते हुए शिक्षा विभाग ने उसे निलंबित कर दिया। वही कोष कार्यालय ने विभागीय कर्मचारियों पर संदेह करते हुए उनपर भी जांच शुरू कर दी है।
प्रधानाचार्य प्रवीण कुमार ने पुलिस की रिपोर्ट में बताया की स्कुल के स्टाफ को अप्रैल 2022 का वेतन न मिलने पर उन्होंने सीबीईओ कार्यालय गलियाकोट में आहरण वितरण अधिकार के लिए 3 जून को प्रस्ताव भेजा था। जो पास होने के बाद 13 जून को हेमन्त ने किसी प्रधानाचार्य के डिजिटल साइन बनाकर मैनेजर को पासवर्ड दिया।
इसके उपरांत जब प्रधानाचार्य ने डिजिटल साइन प्रमाणपत्र मांगा तो बाबू पाटीदार ने बहाना बनाते हुए न दिया और जब पार्थी के अगले दिन लॉगिन करने पर लॉगिन न हुआ तो पाटीदार हेमन्त बाबू ने जवाब दिया की उन्होंने पासवर्ड बदल दिया था। और जब प्रधानाचार्य ने डोंगल मांगे तो न देने पर लिखित नोटिस भी दिया, जिसपर फिर कोई बहाना बना लिया गया।
प्रधानाचार्य ने बताया की कोष कार्यालय ने फोन करके पूछा की विद्यालय के बजट से इतनी रकम क्यों ट्रांसफर की गई है ऐसे किस चीज के इतने बड़े बिल थे जिनके लिए इतनी बड़ी रकम ट्रांसफर कर दी गई है। सागवाडा उपकोष कार्यालय से भी फोन आया
और कहा गया की विद्यालय के बजट से 23 जून को करीब 1,62,00,000 रुपये किसी हेमंत पाटीदार के कहते में ट्रांसफर हुए है। जबकि विभाग की पड़ताल में यह रकम लगभग ढाई करोड़ बताई जा रही है। अब उपकोष कार्यालय सागवाड़ा के कर्मचारियों पर भी संदेह किया जा रहा है की इतनी बड़ी रकम बिना क्रॉस चेक किये किसी के भी खाते में कैसे ट्रांसफर कर दी गई।
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