India News ( इंडिया न्यूज़ ),Dholpur: घड़ियाल को चंबल के घाटों से लाने के बाद इको सेंटर की हेचडी में रेत में करीब 1 फीट नीचे घोसले की तरह दबाकर रखा गया था। जिसके बाद से उन अंडे में से बच्चे बाहर निकल आए हैं। जितने तापमान से अंडे इकट्ठे किए जाते हैं। उसी तापमान के मुताबिक इको सेंटर में उन्हें रखा जाता है।
देवरी घड़ियाल केंद्र पर घड़ियाल के बच्चों को 3 साल तक पाला जाएगा। इन घड़ियाल के बच्चों की लंबाई 180 सेंटीमीटर होने पर इन्हें चंबल नदी में छोड़ दिया जाएगा।
डीएफओ स्वरूप दीक्षित ने बताया कहा कि हर साल 200 अंडों की हेचिंग कर घड़ियाल केंद्र से घड़ियाल के बच्चे निकाले जाते हैं। जिसके बाद ने केंद्र पर लाकर इन का पालन पोषण किया जाता है। चंबल नदी के अलग-अलग घाटों से अंडे इकट्ठे किए जाते हैं।
हर साल की भांति इस साल भी अंबा क्षेत्र के बाबू सिंह का खेल, धौलपुर के बसई डॉग क्षेत्र से और देवगढ़ से 200 अंडे 16 मई को इकट्ठा किए गए थे। उनको देवरी केंद्र लाकर रेत में उसी तापमान पर रखा गया था जिस तापमान पर वे थे।
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