जयपुर: (Ground Water Resource of India 2022) जब भी बात राजस्थान की आती है तो मन में सबसे पहले दृश्य बनता है रेगिस्तान का जहां पानी का दूर-दूर तक कोई निशान नहीं और काम हर जगह पानी का ही है। लेकिन हालही में आई केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट ने सबको हिला कर रख दिया, यदि ऐसी ही स्थिति रही जैसी रिपोर्ट से पता चला है, तो हालात बद से बदतर होने में ज्यादा समय नही लगेगा।
दरअसल, केंद्रीय भूजल बोर्ड की ओर से एक रिपोर्ट तैयार की गई जिसका नाम है ‘ग्राउंड वाटर रिसोर्स ऑफ इंडिया 2022’। इस रिपोर्ट में अक्टूबर 2022 तक के आंकड़े दर्ज किये गए है। भूजल के हालातों को चार श्रेणी में बांटा गया है।
केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट में भूजल के हालातों का 4 श्रेणी में वर्गीकरण किया गया है। इनमें जहां पानी सौ फीसदी क्षमता से ज्यादा दोहन हो चुका है उन्हें अति दोहित यानी ओवर एक्सप्लोइटेड श्रेणी में रखा गया है, जबकि जहां पर भूजल का स्तर 90 से 100 फीसदी के करीब दोहन किया गया है
उन्हें क्रिटिकल यानी गंभीर श्रेणी में, 70 से 90 फीसदी दोहन पर सेमी-क्रिटिकल यानी अर्ध-गंभीर श्रेणी में रखा गया है और जिन ब्लॉक में भूजल का 70 परसेंट से कम दोहन हुआ है उन्हें सुरक्षित माना गया है। हालांकि सुरक्षित ब्लॉक्स काफी कम मात्रा में है।
प्रदेश के जिन ब्लॉक्स को सुरक्षित माना गया है उनमें डूंगरपुर, बांसवाड़ा, बीकानेर, गंगानगर और हनुमानगढ़ का नाम शामिल है। राजधानी जयपुर में हालात चिंताजनक है। यहां के लिए चिंता की खबर ये है कि, यहां 16 ब्लॉक में सभी 16 को अति-दोहित श्रेणी में रखा गया है, जिसे डार्क या रेड जोन कहा जा सकता है।
प्रदेश के 29 जिले अति दोहन की श्रेणी वाले है। इसके साथ ही प्रदेश की 2013 से 2019 की छह वर्षीय भूजल रिपोर्ट कहती है कि, प्रदेश के सात जिलों में औसत भूजल की गहराई 40 एमबीजीएल से ज्यादा है। इन जिलों में बीकानेर, नागौर, जैसलमेर, जोधपुर, झुंझुनूं, सीकर और चूरू का नाम शामिल है।
केंद्रीय भूजल बोर्ड के द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट ‘ग्राउंड वाटर रिसोर्स ऑफ इंडिया 2022’ में प्रदेश के 301 ब्लॉक्स में से 219 ब्लॉक्स को अति दोहित बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, यहां भूजल की स्थिति बेहद गंभीर बताई गई है।
केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट आने के बाद से कई तरह के सवाल उठ रहा है जोकि प्रदेश सरकार और प्रदेश की जनता के लिए चिंता का विषय है। इसके आलावा 22 ब्लॉक्स को क्रिटिकल बताया गया है, तो वहीं 20 ब्लॉक्स की हालत सेमी-क्रिटिकल है। प्रदेश के 301 में से महज 38 ब्लॉक्स को ही सेफ बताया गया है।
इससे पहले भूजल के हालात कुछ बेहतर थे जिनकी अब स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। अगर साल 2017 की बात करें तो उस समय 185 ब्लॉक्स अति दोहित की श्रेणी में थे जिनकी संख्या साल 2020 में बढ़कर 203 हो गई थी।
लगातार घटता भूजल का स्तर चिंता का विषय बन गया है। हाल में आई रिपोर्ट में साल 2022 में 219 ब्लॉक को अति दोहित बताया गया है।
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