Jaipur : राजस्थान में ‘राइट टू हेल्थ’ बिल के विरोध में डॉक्टरों और सरकार के बीच चल रही खींचतान में सुलह जल्द हो सकती है। बता दें कि पिछले 16 दिन से प्रदेश में डॉक्टरों की हड़ताल चल रही थी। निजी अस्पताल बंद पड़े थे और सेवारत चिकित्सकों के साथ रेजिडेंट्स ने भी हड़ताल को समर्थन देते हुए कार्य बहिष्कार किए थे। वहीं सरकार और डॉक्टरों के बीच कई दिनों तक खींचतान चलती रही। डॉक्टर राइट टू हेल्थ बिल को असंवैधानिक बताते हुए इसे वापस लेने की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार बिल को किसी भी सूरत में वापस लेने को राजी नहीं थी।
मुख्य रूप से 5 बिन्दुओं पर सरकार और डॉक्टरों के बीच सहमती बनी। इनमें सबसे प्रमुख बिन्दु ये है कि ‘राइट टू हेल्थ’ कानून के दायरे में सिर्फ वही अस्पताल आएंगे, जिन्हें सरकारी सहायता मिलती हो। जो अस्पताल सरकारी सहायता नहीं लेते वे इस कानून के दायरे से बाहर रहेंगे। बड़े निजी अस्पताल जो सरकारी सहायता प्राप्त नहीं कर रहे हैं, उन पर कानून फिलहाल लागू नहीं होगा। इसके बारे में अंतिम निर्णय सरकार बाद में करेगी। शिकायतों के निवारण के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू करने पर सहमति बन गई है। साथ ही विवाद के मामलों में पुलिस सीधे डॉक्टरों पर मुकदमा दर्ज नहीं करेगी। निजी अस्पतालों को अब हर साल के बजाय 5 साल में एक बार फायर एनओसी लेनी होगी। इन बिन्दुओं पर समहति के बाद डॉक्टर काम पर लौटने को राजी हो गए।
राज्य सरकार 21 मार्च को राजस्थान विधानसभा में राइट टू हेल्थ बिल पास कर दिया था। इससे पहले 19 मार्च से ही डॉक्टर आन्दोलन पर उतर गए थे। निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने हड़ताल करते हुए अस्पताल बंद कर दिए थे। जयपुर में डॉक्टरों की बड़ी रैली निकाली गई जिसमें प्रदेशभर के हजारों डॉक्टर शामिल हुए। निजी अस्पताल संचालकों के समर्थन में सरकारी डॉक्टर भी उतर गए। 29 मार्च को सेवारत चिकित्सक एक दिन का सामूहिक अवकाश पर रहे थे। रेजिडेंट डॉक्टर्स ने भी निजी अस्पताल संचालकों के समर्थन में कार्य बहिष्कार किया था। अब सरकार के साथ सहमति बनने के बाद चिकित्सा व्यवस्था पटरी पर लौट आएंगी।