Sunday, July 7, 2024
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Decision of Rajasthan High Court : चौकीदार को नियमित नहीं करने का दस साल पुराना आदेश रद्द

याचिका में अधिवक्ता मिर्जा फैसल बैग ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को जनवरी 1994 में चौकीदार के पद पर लगाया गया था। वहीं नवंबर 1995 में उसे सेवा से पृथक कर दिया गया।

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Decision of Rajasthan High Court

इंडिया न्यूज़, जयपुर।
Decision of Rajasthan High Court : राजस्थान हाईकोर्ट ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में कार्यरत चौकीदार को नियमित नहीं करने के संबंध में विभाग की ओर से दिए गए 19 जून 2012 के आदेश को निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने विभाग को निर्देश दिए हैं कि वह समस्त परिलाभ सहित याचिकाकर्ता को दो माह में नियमित करे। जस्टिस अनूप कुमार ढंड (Anoop Kumar Dhand) ने यह आदेश परमेश्वर लाल (Parmeshwar Lal) की याचिका का निस्तारण करते हुए दिए। (Decision of Rajasthan High Court)

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याचिका में अधिवक्ता मिर्जा फैसल बैग (Mirza Faisal Baig) ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को जनवरी 1994 में चौकीदार के पद पर लगाया गया था। वहीं नवंबर 1995 में उसे सेवा से पृथक कर दिया गया। इसे चुनौती देने पर लेबर कोर्ट, अजमेर ने दिसंबर 2004 में आदेश देते हुए 75 फीसदी बैक वेजेस के साथ याचिकाकर्ता को पुन: सेवा में बहाल करने को कहा। इस आदेश को राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दिसंबर 2010 में आदेश देते हुए बैक वेजेस को हटा दिया। इसके बाद विभाग ने अगस्त 2006 में याचिकाकर्ता को सेवा में बहाल कर दिया। (Decision of Rajasthan High Court)

याचिकाकर्ता को दो माह में नियमित करने के निर्देश दिए

वहीं इस दौरान याचिकाकर्ता के साथ नियुक्त हुए कर्मचारियों को विभाग ने नियमित कर दिया। इस पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका पेश कर नियमितिकरण की गुहार की। याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने इस संबंध में याचिकाकर्ता को अपना अभ्यावेदन विभाग में पेश करने को कहा। इसकी पालना में याचिकाकर्ता ने विभाग में अपना अभ्यावेदन पेश किया, लेकिन विभाग ने 19 जून 2012 को यह कहते हुए अभ्यावेदन खारिज कर दिया कि अन्य कर्मचारियों को नियमित करते समय याचिकाकर्ता सेवा में नहीं था। याचिका में कहा गया कि विभाग का यह आदेश मनमाना है। अदालत ने उसे सेवा में माना था। ऐसे में अन्य कर्मचारियों के समान वह भी नियमित होने का अधिकारी है। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को दो माह में समस्त परिलाभों के साथ नियमित करने के निर्देश दिए हैं। (Decision of Rajasthan High Court)

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