Monday, July 8, 2024
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Debate on Greatness of Maharana Pratap महाराणा प्रताप को लेकर चल रहे विवाद पर नई बहस छिड़ी

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अभिषेक जोशी, उदयपुर :
Debate on Greatness of Maharana Pratap : 
चुनावी मोड़ से पहले राजस्थान में एक बार फिर महाराणा प्रताप की महानता और इतिहास के तथ्यो पर नई बहस शुरू हो गई है। आदर्श व्यक्तित्व के नाम से यह विवाद कांग्रेस बनाम बीजेपी हो गया है। अभी मामला कांग्रेस के प्रदेश मुखिया और विधानसभा में भाजपा विधायक दल के मुखिया के बीच चल रहा है। पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा महाराणा प्रताप को लेकर दिए विवादित बयान पर भाजपा भी आरपार के मूड में है।

गुलाबचंद कटारिया ने कहा है कि कांग्रेसी अपनी उन्नति नहीं चाहते इसीलिए अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री रहे गोविंद सिंह डोटासरा अज्ञानी है। उन्हें कुछ भी कहने से पहले महाराणा प्रताप और मेवाड़ के इतिहास के सुनहरे पत्तों को पढ़ना चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष ने पूर्व शिक्षा मंत्री को दी इतिहास का पाठ पढ़ने की नसीहत Debate on Greatness of Maharana Pratap

महाराणा प्रताप को लेकर एक बार फिर से राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा महाराणा प्रताप के लिए गलत टिप्पणी करने के विरोध में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने प्रतिक्रिया दी है। कटारिया ने गोविंद सिंह डोटासरा को फिर से इतिहास का पाठ पढ़ने की नसीहत देते हुए कहा कि जिन लोगों ने आज तक अकबर को महान बताया उन्हें इतिहास का ज्ञान नहीं है।

ऐसे में एक बार डोटासरा को इतिहास पढ़ने की जरूरत है। कटारिया ने कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति के कारण ही आज तक कांग्रेस एक कोने में पड़ी है। कांग्रेस उन्नति नहीं चाहती तो इसी तरह की अनर्गल बयानबाजी करती रहे।

स्वाभिमान की लड़ाई लड़े थे प्रताप : गुलाबचंद कटारिया

डोटासरा पर पलटवार करते हुए कटारिया ने कहा कि महाराणा प्रताप मेवाड़ के स्वाभिमान की लड़ाई लड़े थे। राज – पाट छोड़कर जंगलों में सिर्फ मेवाड़ के स्वाभिमान के लिए रहे थे। मेवाड़ किसी के सामने नहीं झुके इसलिए महाराणा प्रताप ने इतनी बड़ी सल्तनत से भी मुकाबला किया। उन्हें अगर सत्ता का लालच होता तो वह भी मान सिंह की लाइन में चले जाते।

बीजेपी ने अकबर और प्रताप के युद्ध को धर्मिक लड़ाई बताया जबकि ये सत्ता का संघर्ष था : गोविंद सिंह डोटासरा

पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने गुरुवार को नागौर में बयान दिया था कि भाजपा ने अपने राज के दौरान विद्या भारती की तर्ज पर पाठ्यक्रम बनवाएं। बीजेपी ने ही महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुई लड़ाई को धार्मिक लड़ाई बताते हुए पाठ्यक्रम में शामिल करवाया था जबकि यह सत्ता का संघर्ष था। डोटासरा ने कहा था कि बीजेपी हर चीज को हिंदू मुस्लिम में बांट कर रखना चाहती है।

महाराणा प्रताप के इतिहास को समझने के लिए राजनीति का चश्मा उतारने की जरूरत : डॉक्टर चंद्रशेखर शर्मा इतिहासकार

हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के विजय होने की बात सबके सामने लाकर उसे पाठ्यक्रम में जुड़वाने वाले इतिहासकार डॉक्टर चंद्रशेखर शर्मा ने इस राजनीतिक बयानबाजी पर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप के 450 वर्ष पुराने इतिहास को समझने के लिए राजनीति का चश्मा उतारने की जरूरत है। इतिहास के ऐसे तथ्य मौजूद है जो ये साबित करते है कि महाराणा प्रताप का संघर्ष न तो सत्ता पाने के लिए हुआ था और ना ही सत्ता खोने या बचाने के लिए था।

प्रताप के पास तो सत्ता खुद लौटकर आई थी। उनको मेवाड़ का शासक नहीं बनाया तब भी उन्होंने मुंह नहीं खोला। सत्ता का लोभ होता तो प्रताप उस वक़्त भी बोल सकते थे कि मैं बड़ा बेटा हूँ मुझे शासक बनाया जाए। जिन्हें सत्ता भोगनी होती है वे कॉम्प्रोमाइज करते है संघर्ष नहीं। महाराणा प्रताप का संघर्ष विदेशी साम्राज्यवाद के खिलाफ था। ये अभारतीय के साथ भारतीय का संघर्ष था।

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