India News Rajasthan ( इंडिया न्यूज ), Rajasthan News: पिछले कुछ वर्षों से राजस्थान के जंगलों में वन्यजीवों वास्तविक आंकड़ों पर सवाल खड़े होने लगे थे, जिसका जवाब भी विभाग के पास नहीं था। इसे देखते हुए विभाग ने 4 साल बाद वन्यजीवों की गिनती करने का फैसला किया है। प्रदेश भर के जंगलों में एक हजार से ज्यादा जल प्वाइंट पर कैमरा ट्रैप के जरिए वनकर्मी 24 घंटे करने का फैसला किया है, ताकि उनकी सटीक गिनती की जा सके। इसके लिए वनकर्मी और स्वयंसेवक दिन-रात जंगल की चिलचिलाती धूप में मचान पर बैठकर डटे हुए हैं।
रेगिस्तानी राज्य के तीन टाइगर रिजर्व में शामिल जयपुर के झालाना लेपर्ड और आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व में गणना शुरू हो गई है। इसके साथ ही सभी वन्य जीव अभ्यारण्यों और संरक्षित वन क्षेत्रों में निगरानी रखी जा रही है।
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पीके उपाध्याय ने बताया कि गुरुवार, 23 मई की सुबह से शुरू हुई वन्यजीव गणना में वनकर्मी और स्वयंसेवक 24 घंटे वन्यजीवों की गिनती कर रहे हैं। वन्यजीव गणना की निगरानी वन मुख्यालय से की जा रही है और इसकी रिपोर्ट आगे भेजी जाएगी। वाटर होल पद्धति से वन्यजीव गणना से वन्यजीवों की संख्या का वास्तविक आंकड़ा मिलेगा। वहीं, डीसीएफ जगदीश गुप्ता ने भी उम्मीद जताई है कि इस बार वन्यजीवों का आंकड़ा बढ़ेगा।
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उल्लेखनीय है कि राजस्थान के जंगलों में मुख्य रूप से बाघ, बघेरा, रेगिस्तानी लोमड़ी, रेगिस्तानी बिल्ली, सियार, सियार, भेड़िया, भालू, चिंकारा, काला हिरण, गोडावण, सियागोश जैसी सभी प्रजातियों के वन्यजीव मौजूद हैं। इसमें मांसाहारी, शाकाहारी और सरीसृप वर्ग में गणना की जा रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार राजस्थान में वन्यजीवों की संख्या 3 लाख को पार कर सकती है।
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