(इंडिया न्यूज),जयपुर: (Protest In Jaipur) राजस्थान के जयपुर में पुलिस ने वीरांगनाओं को धरने से उठा दिया। लेकिन ऐसा क्या हुआ जिसने वीरांगनाओं को धरने पर बैठने के लिए मजबुर कर दिया। दरअसल मुआवजा और नौकरी की मांग को लेकर पुलवामा हमले में शहीद (Pulwama Martyr) हुए जवानों के परिवार धरना दे रहे थे।
तो वही बीजेपी सांसद किरोड़ीलाल मीणा (Kirodi Lal Meena) ने वीरांगनाओं की आवाज दबाने का आरोप लगाया है। जयपुर में वीरांगनाओं को धरने से हटाने का मामला अब और तूल पकड़ता जा रहा है। बता दे कि पुलिस ने देर रात 3 बजे वीरांगनाओं को धरने से हटाया, जिसके बाद अब आरोपों पर पुलिस ने भी अपना बयान जारी किया किया है। पुलिस का दावा है कि वीरांगनाओं की तबीयत खराब हो रही थी। ऐसे में उन्हें धरने से उठाकर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
धरने पर बैठीं वीरांगनाओं की आखिर मांगें क्या हैं, आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं। शहीद जीतराम की वीरांगना अपने देवर को नौकरी दिलाना चाहती हैं। तो वहीं, शहीद रोहिताश्व लांबा की वीरांगना भी अपने देवर के लिए नौकरी की मांग कर रही हैं। इसके अलावा शहीद हेमराज की वीरांगना की मांग है कि उनके पति की प्रतिमा चौराहे पर स्थापित की जाए। साथ ही साथ उन्होंने सड़क निर्माण की भी मांग की है। वहीं, दूसरी ओर राज्य सरकार का कहना है कि शहीदों के परिवार की ओर से की गई ये मांगें जायज नहीं हैं।
सीएम गहलोत ने ट्वीट करते हुए लिखा कि हम शहीद के बच्चों के अधिकारों को रौंद कर किसी अन्य रिश्तेदार को नौकरी देने को कैसे जायज ठहरा सकते हैं? बड़े होने पर शहीद के बच्चों का क्या होगा? क्या उनके अधिकारों को कुचलना सही है? लेकिन वीरांगनाओं का कहना है कि नौकरी उनका हक है। वीरांगनाओं की मांग है कि सीएम उनसे मिलें और उनकी मांगे मानें। इस पूरे प्रदर्शन में BJP सांसद किरोड़ी लाल मीणा लगातार वीरांगनाओं के साथ बने हुए हैं।
How can we justify giving job to any other relative by trampling upon the rights of the children of the martyr?
What will happen to the children of the martyr when they grow up?
Is it appropriate to trample upon their rights? pic.twitter.com/49Kio82KlX
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) March 9, 2023
इससे पहले 5 मार्च को जब ये वीरांगनाएं सीएम से मिलने के लिए आगे बढ़ रही थीं तभी पुलिस पर इनसे दुर्व्यहार का आरोप भी लगा था। डीसीपी ने बयान देकर कहा कि डॉक्टर लगातार स्वास्थ्य परीक्षण कर रहे थे, जिसमें दो वीरांगनाओं के Vitals कम पाए गए थे। पुलिस के मुताबिक, दोनों वीरांगनाओं की सहमति के बाद ही उन्हें घर के नजदीक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया, जबकि तीसरी वीरांगना मधुबाला को उनके परिजनों को सुपुर्द किया गया। आपको बता दें कि जिन आरोपों पर अब पुलिस सफाई दे रही है दरअसल, ये सवाल तब उठे थे जब पुलिस ने पिछले 10 दिन से चल रहा प्रदर्शन रातों रात हटा दिया। बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने आरोप लगाए कि पुलिस के दम पर वीरांगनाओं की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है।