नीति गोपेंद्र भट्ट, Rajasthan News : राहुल गांधी को नेशनल हेराल्ड मामले में तीन दिन में तीस घंटे से भी अधिक समय में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सवालों की आँधी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर राजस्थान का गांधी कहें जाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रियंका गाँधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं की मदद से बनाई गई रणनीति ने भी अपना असर दिखाया है।
कांग्रेस में नई जान फूँकने के प्रयास अब सिरे पर चढ़ रहें है। दिल्ली में कांग्रेस का प्रदर्शन हो या दिल्ली पुलिस के भारी बंदोबस्तों के बावजूद पार्टी नेता और कार्यकर्ता का नेता राहुल गाँधी के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तत्पर दिखना।
गहलोत ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह आठ साल का काला अध्याय है। इतिहास में इन आठ वर्षों को अगर देखा जाएगा तो इसे काला अध्याय के रूप मे देखा जाएगा, क्योंकि इसमें संविधान की धज्जियां उड़ रही है। आज लोकतंत्र खतरे में हैं और पूरे देशवासी बहुत दुखी और तनाव में हैं। गहलोत ने अपने जोरदार तर्कों से मोदी सरकार पर बुधवार को भी जबर्दस्त हमला बोला।
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि केंद्र सरकार के इशारे पर दिल्ली पुलिस द्वारा गुंडागर्दी की जा रही है। उन्होंने दिल्ली ने कांग्रेस के राष्ट्रीय कार्यालय में प्रवेश किया और कार्यकतार्ओं को पीटा गया। यह आपराधिक अतिचार है। उनकी गुंडागर्दी चरम पर पहुंच चुकी है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसका हिसाब भी होगा।
इधर नेशनल हेराल्ड प्रकरण में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से लगातार तीन दिन प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) के ने पूछताछ की। वे बुधवार को कांग्रेस मुख्यालय नहीं गए और सीधे ईडी मुख्यालय जाकर उनके सवालों के जवाब दिए। पिछलें दिनों की लंबी पूछताछ के बावजूद ईडी के अधिकारी राहुल के जवाबों से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे। जिसके बाद उन्हें अधिकारियों ने शुक्रवार को भी पेश होने के लिए कहा था।
2012 में भाजपा के नेता और देश के नामी वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, आस्कर फर्नांडीस, पत्रकार सुमन दुबे और टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा के खिलाफ मामला दर्ज कराया। तब केंद्र में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी। सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया कि यंग इंडिया लिमिटेड ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और लाभ हासिल करने के लिए “गलत” तरीके से निष्क्रिय प्रिंट मीडिया आउटलेट की संपत्ति को “अधिग्रहित” किया।
स्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि यंग इंडिया लिमिटेड ने 90.25 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो ए जे एल पर कांग्रेस पार्टी का बकाया था। यह राशि पहले अखबार शुरू करने के लिए कर्ज के रूप में दी गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ए जे एल को दिया गया कर्ज “अवैध” था, क्योंकि यह पार्टी के फंड से लिया गया था।
देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने 20 नवंबर 1937 को एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानि ए जे एल का गठन किया था। इसका उद्देश्य अलग-अलग भाषाओं में समाचार पत्रों को प्रकाशित करना था। तब ए जे एल के अंतर्गत अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज समाचार पत्र प्रकाशित हुए। भले ही ए जे एल के गठन में पं. जवाहर लाल नेहरू की भूमिका थी, लेकिन इस पर मालिकाना हक कभी भी उनका नहीं रहा।
क्योंकि, इस कंपनी को 5000 स्वतंत्रता सेनानी सपोर्ट कर रहे थे और वही इसके शेयर होल्डर भी थे। 90 के दशक में ये अखबार घाटे में आने लगे। साल 2008 तक ए जे एल पर 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज चढ़ गया। तब ए जे एल ने फैसला किया कि अब समाचार पत्रों का प्रकाशन नहीं किया जाएगा। अखबारों का प्रकाशन बंद करने के बाद ए जे एल प्रॉपर्टी बिजनेस में उतरी।
2010 में ए जे एल के 1057 शेयरधारक थे। घाटा होने पर इसकी होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड को ट्रांसफर कर दी गई। यंग इंडिया लिमिटेड की स्थापना उसी वर्ष यानी 2010 में हुई थी। इसमें तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के महासचिव राहुल गांधी डायरेक्टर के रूप में शामिल हुए। कंपनी में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी के पास रखी गई। शेष 24 फीसदी कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और आस्कर फर्नांडीस (दोनों का निधन हो चुका है) के पास थी।
शेयर ट्रांसफर होते ही एजेएल के शेयर होल्डर्स सामने आ गए। पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण, इलाहाबाद व मद्रास उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश माकंर्डेय काटजू सहित कई शेयरधारकों ने आरोप लगाया कि जब यंग इंडिया लिमिटेड ने एजेएल का ‘अधिग्रहण’ किया था तब उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया था। यही नहीं, शेयर ट्रांसफर करने से पहले शेयर होल्डर्स से सहमति भी नहीं ली गई।
बता दें कि शांति भूषण और माकंर्डेय काटजू के पिता के नाम पर एजेएल में शेयर था। कांग्रेस का कहना है कि 2015 में यह मामला बंद हो गया था लेकिन इरादतन इसे फिर से खोला गया है। मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। कांग्रेस का यह भी कहना है कि यंग इंडिया लिमिटेड एक नोन प्रॉफिट संस्था है और कोई भी इसमें से अपने लिए एक रुपया भी नहीं निकाल सकता। अत: भ्रष्टाचार के सभी आरोप मिथ्या और आधारहीन हैं।
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