जयपुर(Gehlot called the Union Budget disappointing): राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केन्द्रीय बजट जोकि हाल ही पेश हुआ है इसको निराशाजनक बताया है। केन्द्रीय बजट पर गहलोत ने कहा कि इस बजट में आमजन की अनदेखी की गई है। यह बजट थोथा चना, बाजे घना साबित हुआ है।
केन्द्र ने अमृत काल का विजन तो रखा लेकिन आमजन को पूरी तरह से निराशा ही हाथ लगी है। यह बजट केन्द्र सरकार के इस कार्यकाल का अंतिम बजट है लेकिन राजस्थान की जनता को इससे कुछ नहीं मिला। प्रदेश ने केन्द्र को 25 सांसद जिताकर दिए। इनमें से कुछ केन्द्रीय मंत्री भी हैं। इसके बावजूद राजस्थान की जनता के हाथ खाली हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हमने केन्द्र सरकार को राइट टू हेल्थ और राइट टू सोशल सिक्योरिटी का प्रावधान लागू करने के लिए कई बार पत्र लिखे ताकि प्रत्येक देशवासी को एक समान चिकित्सा और सामाजिक सुरक्षा प्राप्त हो सके। राजस्थान में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 10 लाख रुपए का निशुल्क इलाज और पांच लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा दिया जा रहा है। इसके साथ ही एक करोड़ लोगों को पेंशन उपलब्ध कराई जा रही है।
गहलोत ने ये भी कहा कि आयुष्मान भारत योजना में अभी भी 5 लाख रुपए तक के इलाज की सीमा है, इसे भी नहीं बढाया गया। साथ ही चिकित्सा शिक्षा के राजस्थान मॉडल के अनुरूप देश में 157 नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना करने की घोषणाएं की गई है लेकिन यह नहीं बताया गया है कि इन कॉलेजों की स्थापना कब तक की जाएगी। केन्द्र सरकार ने इस बजट में कोई ठोस कार्य योजना तैयार नहीं की है।
बजट पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आगे कहा राजस्थान की जनकल्याणकारी योजनाओं के अध्ययन के बाद केन्द्र बजट पेश होता, तो आमजन को राहत मिलती। प्रदेश के 13 जिलों को पेयजल और सिंचाई हेतु पर्याप्त पानी के लिए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा नहीं मिलने से क्षेत्रवासियों को निराशा हुई है।
वहीं कर्नाटक राज्य की उपरी भद्रा परियोजना के लिए अतिरिक्त सहायता के रूप में 5300 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए जाना राजस्थान के प्रति सौतेले व्यवहार को दर्शाता है। राज्य सरकार स्वंय के संसाधनों से ईआरसीपी को पूरा करवा कर पानी उपलब्ध कराएगी।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट पर किसानो को लेकर भी कहा बड़ी बात उन्होने कहा कि केन्द्रय बजट में किसानों को ऋण देने की घोषणा तो की गई है लेकिन कर्ज में डूबे किसानों को सहारा नहीं मिला है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार द्वारा राज्य के सहकारी बैंकों के 22 लाख किसानों द्वारा लिए गए 14 हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया गया है।
राज्य के किसानों के राष्ट्रीयकृत बैंकों के ऋण माफी के लिए हमने कई बार केन्द्र सरकार को पत्र लिखे, जिस पर अभी तक केन्द्र मौन साधे हुए हैं। वहीं कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के बजट में पिछले वर्ष की तुलना में 6 प्रतिशत (7500 करोड़ रुपए) और यूरिया सब्सिडी मद में भी 15 प्रतिशत (लगभग 23 हजार करोड़ रुपए) तक की कमी की गई है। इससे किसानों को निराशा ही हुई है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आगे कहा कि बजट में महंगाई और बेरोजगारी का जिक्र तक नहीं है। साथ ही बढती महंगाई को कम करने के संबंध में कोई पॉलिसी स्टेटमेंट नहीं आने से आम आदमी का जीवनयापन और मुश्किल होगा। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी नरेगा योजना के बजट प्रावधान 33 (लगभग 30,000 करोड़ रुपए) कम करना यह साबित करता है कि यह बजट गरीब, भूमिहीन कासान एवं आमजन विरोधी है। गहलोत ने कहा कि राजस्थान सरकार ने महात्मा गांधी नरेगा में 25 दिन का अतिरिक्त रोजगार दिए जाने का साथ ही इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना की भी शुरूआत कर दी गई है।