India News(इंडिया न्यूज) Jaipur, जयपुर: नामीबिया से 17 सितंबर को 8 सीटों को लाया गया था। इन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाड़े में रिलीज किया था। दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में स्थानांतरित किए गए 3 चीजों की 2 महीने से भी कम समय में मौत हो गई है। जिस पर केंद्र ने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वह राजनीति से ऊपर उठकर उन्हें राजस्थान में स्थानांतरित करने पर विचार करे. न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने कहा कि विशेषज्ञों की रिपोर्ट और लेखों से ऐसा प्रतीत होता है कि इतनी बड़ी संख्या में चीतों के लिए केएनपी पर्याप्त नहीं है और केंद्र सरकार उन्हें अन्य अभयारण्यों में स्थानांतरित करने पर विचार कर सकती है.
शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, ‘दो महीने से भी कम समय में (चीतों की) तीन मौतें गंभीर चिंता का विषय है. विशेषज्ञों की राय और मीडिया में लेख हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि कूनो में चीतों की संख्या बहुत अधिक है. इतने सारे चीतों के लिए वहां जगह पर्याप्त नहीं है. आप राजस्थान में उपयुक्त जगह की तलाश क्यों नहीं करते? केवल इसलिए कि राजस्थान में विपक्षी पार्टी का शासन है, इसका मतलब यह नहीं है, आप इस पर विचार नहीं करेंगे.’ केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि टास्क फोर्स ने 3 चीतों की मौत के कारणों का पता लगाया है और उन्हें अन्य अभयारण्यों में स्थानांतरित करने सहित सभी संभावित पहलुओं की जांच कर रही है.
इस साल 27 मार्च को, साशा नाम की एक मादा चीता की किडनी की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई थी, 23 अप्रैल को उदय की कार्डियो-पल्मोनरी विफलता के कारण मृत्यु हो गई और 9 मई को दक्ष नामक एक अन्य दक्षिण अफ्रीकी मादा चीता की संभोग के प्रयास के दौरान एक नर चीते के साथ हुई हिंसक झड़प में मौत हो गई. पीठ ने कहा कि रिपोर्टों से ऐसा लगता है कि संभोग को लेकर दो नर चीतों के बीच लड़ाई के दौरान घायल होने के बाद एक मादा चीता की मौत हो गई और एक की किडनी संबंधी बीमारी से मौत हो गई.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, ‘हमें पता चला कि किडनी से संबंधित बीमारी के कारण मरने वाला चीता भारत लाए जाने से पहले समस्या से पीड़ित था. सवाल यह है कि मादा चीता को भारत लाने की मंजूरी कैसे दी गई, अगर वह पहले से ही बीमार थी?’ एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि सभी मौतों का पोस्टमार्टम किया गया है और टास्क फोर्स मामले की जांच कर रही है. पीठ ने कहा, ‘आप विदेशों से चीतों को ला रहे हैं, यह अच्छी बात है. लेकिन उन्हें संरक्षित करने की जरूरत है. उन्हें उपयुक्त आवास देने की जरूरत है, आप कूनो की तुलना में अधिक उपयुक्त आवास की तलाश क्यों नहीं करते? हम सरकार पर कोई आक्षेप नहीं लगा रहे, लेकिन मौतों पर चिंता जता रहे हैं.’
ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि एक चीते ने 4 शावकों को जन्म दिया है, जिससे पता चलता है कि वे कूनो में अच्छी तरह से अभ्यस्त हो रहे हैं. शीर्ष अदालत की हरित पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा कि पर्यावरण के मुद्दे उन्हें बहुत चिंतित करते हैं और यह एक ऐसा विषय है जो उनके दिल के करीब है. एएसजी भाटी ने कहा कि चीतों की मौत कोई असामान्य बात नहीं है, लेकिन टास्क फोर्स गहन जांच कर रहा है और यदि अदालत चाहे तो सरकार मौतों का विवरण देते हुए एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करना चाहेगी.
न्यायमूर्ति गवई ने भाटी से कहा, ‘इस मुद्दे में पार्टी-राजनीति को मत लाइए. सभी उपलब्ध आवासों पर विचार करिए, जो भी उनके लिए उपयुक्त है. मुझे खुशी होगी अगर चीतों को महाराष्ट्र लाया जाए.’ भाटी ने कहा कि मुकुंदरा राष्ट्रीय उद्यान तैयार है और टास्क फोर्स उनमें से कुछ को मध्य प्रदेश के अन्य राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित करने पर भी विचार कर रहा है. उन्होंने अदालत से कहा कि भारत में कोई चीता विशेषज्ञ नहीं हैं, क्योंकि 1947-48 में चीता देश से विलुप्त हो गए थे. हमारे अधिकारी दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया गए और चीता प्रबंधन पर विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया. एएसजी भाटी ने कहा, अगर अदालत चीता विशेषज्ञों की राय पर विचार कर रही है, तो इसे उन सभी को सुनना चाहिए, न कि एक या दो को, जिनकी विशेष प्रकार की राय है.
इसके बाद पीठ ने शीर्ष अदालत द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति को चीता पर नेशनल टास्क फोर्स को अपना सुझाव 15 दिन में देने को कहा, ताकि उस पर विचार किया जा सके और मामले को गर्मी की छुट्टी के बाद आगे की सुनवाई के लिए टाल कर दिया. शीर्ष अदालत का निर्देश केंद्र द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें अदालत से निर्देश मांगा गया था कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के लिए इस अदालत द्वारा 28 जनवरी, 2020 के एक आदेश के माध्यम से नियुक्त विशेषज्ञ समिति के मार्गदर्शन और सलाह को जारी रखना अब आवश्यक और अनिवार्य नहीं है. ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत 17 सितंबर, 2022 को 8 चीतों को नामीबिया से भारत लाया गया और मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में क्वारंटीन फैसिलिटी में छोड़ गया. वहीं 12 चीतों- जिसमें 7 नर और 5 मादा थीं- को 18 फरवरी, 2023 को दक्षिण अफ्रीका से केएनपी में स्थानांतरित किया गया था.