Friday, June 28, 2024
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प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले जातिगत जनगणना और ओबीसी आरक्षण का मुद्दा गरमाया, जाट समाज से मुख्यमंत्री बनाने की मांग

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(इंडिया न्यूज),जयपुर: (Demand to make Chief Minister from Jat community) राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले जातिगत जनगणना और ओबीसी आरक्षण का मुद्दा गरमा हुआ है। सामाजिक मंच पर आए विभिन्न पार्टियों के नेताओं ने जाट समाज से मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग उठाई है। जाट मुख्यमंत्री के मुद्दे को लेकर आगामी विधानसभा चुनाव में नेता अपनी-अपनी पार्टी के लिए माहौल बनाएंगे।

जाट समाज ने जातिगत जनगणना और अन्य पिछाड़ा वर्ग यानी ओबीसी के आरक्षण को 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की मांग की है। जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में रविवार यानी पांच मार्च को हुए जाट महाकुंभ में सभी ने सामाजिक एकता और राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर समाज को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया।

200 में से करीब 85 विधानसभा सीटों पर जाट समाज का प्रभाव

करीब नौ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जाट समाज ने अपनी ताकत दिखाते हुए जाट का वोट जाट को देने का संकल्प लिया है। इस महाकुंभ में जातिगत जनगणना की मांग की गई, तो वहीं ओबीसी का आरक्षण 21 से बढ़ाकर 27 फीसदी करने की मांग उठी। इसके आलावा महाकुंभ के दौरान राजस्थान में जाट समाज से मुख्यमंत्री बनाने की मांग भी की। जाट महाकुंभ के दौरान मंच पर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, सीएम वसुंधरा राजे के बेटे सांसद दुष्यंत सिंह, केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी, सीकर सांसद सुमेधानंद सरस्वती सहित कई दिग्गज नेता मौजूद थे।

आपको बता दे कि राजस्थान की 200 में से करीब 85 विधानसभा सीटों पर जाट समाज का प्रभाव है। इन सीटों का चुनाव परिणाम जाट वोटों पर निर्भर करता है। वर्तमान में 37 विधायक जाट समाज से हैं। हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू, झुंझुनूं, नागौर, जोधपुर, सीकर, भरतपुर, बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में जाट समाज का ज्यादा प्रभाव है। अजमेर व जयपुर जिले में भी जाट मतदाता चुनाव को प्रभावित करते हैं।

दुष्यंत सिंह ने अपनी मां वसुंधरा राजे का संदेश पढ़कर सुनाया

महाकुंभ में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए, जिनमें किसान नेता राकेश टिकैत, केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, राजस्थान सरकार के मंत्री लालचंद कटारिया, विश्वेंद्र सिंह, बृजेंद्र ओला, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह, सांसद दुष्यंत सिंह, भागीरथ चौधरी, सुमेधानंद सरस्वती, दो दर्जन से ज्यादा विधायक, पंचायती राज संस्थाओं एवं स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि, कई पूर्व विधायक सहित जाट समाज के नेता प्रमुख हैं।

दुष्यंत सिंह ने पूर्व सीएम और अपनी मां वसुंधरा राजे का संदेश पढ़कर सुनाया, तो वही वसुंधरा ने जाट समाज की एकता पर जोर दिया। नेताओं ने भी एकता का संदेश दिया। डोटासरा ने समाज के नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि दो बातों का ध्यान रखें, एक तो किसी भी दूसरे समाज के खिलाफ एक भी गलत शब्द नहीं बोलना चाहिए। यह प्रण लेकर हम यहां से जाएं। दूसरा, अगर हम किसी की मदद कर रहे हैं तो चुपचाप करें।

किसानों को एक और आंदोलन के लिए तैयार रहना होगा-टिकैत

पूनिया ने कहा कि जाट समाज गांव में सामाजिक अच्छी नीयत और मिठास के लिए जाना जाता था। मैंने अपमान, तिरस्कार और संघर्ष देखा है। दुसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामेश्वर डूडी ने कहा कि मैं मांग करता हूं कि प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री किसान का बेटा, जाट का बेटा होना चाहिए। टिकैत ने कहा कि किसानों को एक और आंदोलन के लिए तैयार रहना होगा। दस साल पुराने ट्रैक्टर बंद हो जाएंगे।

यह नीति आ गई है कगि अब हमें ट्रैक्टर को टैंकर बनाना है। ये संकल्प लिए जाट महाकुंभ में दादू दयाल धाम, नरैना के प्रमुख संत ने संकल्प दिलवाए। इस दौरान पेड़ को परिवार का सदस्य मानने, जीवों की रक्षा करने, शादियों में फिजूलखर्ची रोकने, जैविक खेती की तरफ लौटने, पशुपालन को बढ़ावा देने, उद्योग और व्यापार में समाज की हिस्सेदारी बढ़ाने का संकल्प लिया गया ।

 

 

 

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