नीति गोपेंद्र भट्ट, जयपुर:
Ashok Gehlot : हाल ही पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में जबर्दस्त हलचल मची हुई है। जी-23 नेता नेतृत्व मुद्दे पर फिर से सक्रिय हो गए है। इधर सोनिया गांधी(Sonia Gandhi) प्रियंका और राहुल(Rahul Gandhi) के इस्तीफे और अशोक गहलोत(Ashok Gehlot) को एआईसीसी का नया अध्यक्ष बनाने की मीडिया में खबरें आने से इन हलचलों को और अधिक बढ़ावा मिल गया। इस बीच अशोक गहलोत(Ashok Gehlot) एक बार फिर गांधी परिवार की ढाल बन सामने आए और उन्होंने रविवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग से पूर्व कहा कि राहुल गांधी(Rahul Gandhi) को कांग्रेस का अध्यक्ष बन जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सिर्फ राहुल गांधी में ही नरेंद्र का सामना करने का दमखम है। वह ऐसा कर भी रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशक से गाँधी परिवार से कोई प्रधानमंत्री अथवा मंत्री नहीं बना। इससे समझा जा सकता है कि कांग्रेस की एकजुटता के लिए गांधी परिवार कितना जरूरी है।
अशोक गहलोत(Ashok Gehlot) ने कहा, राजनीति में कई तरह की परिस्थिति बन जाती है, उससे घबराना नहीं चाहिए। हम लोगों ने लंबे समय से देखा है, उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, यही भारतीय जनता पार्टी जो आज सत्ता में है, उसे कभी संसद में 542 में से मात्र दो सीट मिली थी। उन्होंने कहा कि चुनाव में हार-जीत होती रहती है, हम उनसे घबराते नहीं हैं। गहलोत(Ashok Gehlot) ने कहा कि आज राहुल गांधी अकेले व्यक्ति हैं, जो दमखम के साथ नरेंद्र मोदी जी का मुकाबला कर रहे हैं और नरेंद्र मोदी को भी राहुल गांधी को टार्गेट करके ही अपना भाषण शुरू करना पड़ता है और उसका अंत करना पड़ता है।
आप समझ सकते हो कि इसका क्या मतलब है? लोग गुमराह हो रहे हैं, क्योंकि भाजपा धर्म की राजनीति करती हैं, आज नहीं तो कल ये बात देश वासियों को जरूर समझ आएगा। इंदिरा गांधी ने अपनी जान दे दी, लेकिन खालिस्तान नहीं बनने दिया। अशोक गहलोत(Ashok Gehlot) ने कहा कि हमारा रास्ता तो एकता, अखंडता का है और एक रास्ता भाजपा का है धर्म औरध्रुवीकरण का। पीएम और केजरीवाल एक जैसा बोलते हैं। ये आग लगाना काफी आसान काम होता है, लेकिन उसे बुझाना काफी मुश्किल है।
अशोक गहलोत(Ashok Gehlot) ने कहा कि ध्रुवीकरण की राजनीति आसान है। भाजपा ने सोशल मीडिया पर कांग्रेस कोमुस्लिम पार्टी के रूप में प्रचारित किया। हमारा तरीका देश की अखंडता और एकता को बनाए रखना है। चुनावके दौरान धर्म सबसे आगे आता है, जबकि महंगाई और नौकरियों के मुद्दे भाजपा के लिए पिछड़ जाते हैं।राजस्थान के सीएम और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत(Ashok Gehlot) के मुताबिक, 2017 में कांग्रेस एकजुट हुई और हम जीतगए। चन्नी के सीएम बनने के बाद माहौल भी अनुकूल था, लेकिन यह हमारी गलती थी कि आंतरिक संघर्ष केकारण हम पंजाब में विधानसभा चुनाव हार गए।
गौरतलब है कि पांच राज्यों के चुनाव में हार से कांग्रेस के गहराए संकट और संगठन में बदलाव की दोबारा उठी आवाज के बीच सोनिया गांधी ने रविवार को पार्टी कार्यसमिति की बैठक हुई। इसमें हार की समीक्षा करने के साथ मौजूदा संकट से उबरने के उपायों पर चर्चा हुई। कांग्रेस के सिकुड़ते आधार से बेचैन पार्टी के असंतुष्ट नेताओं के समूह जी 23 इस बैठक में नेतृत्व की कमजोरियों को लेकर उसे घेरने का प्रयास किया।
लेकिन गहलोत और अन्य नेताओं ने पार्टी का चिंतन शिविर बुला कर हार के कारणों और भावी रणनीति बनाने की राय दी। चिंतन शिविर की यह बैठक राजस्थान में होने की संभावना है क्योंकि चिंतन शिविर बैठक कराने का जिम्मा अशोक गहलोत ने लेने का प्रस्ताव किया है। हालांकि अभी राजस्थान में यह बैठक कहां होगी, इसके लिए स्थान और तारीख तय होना अभी बाकी है।
चिंतन शिविर में यह तय किया जाएगा कि किन-किन मुद्दों पर पार्टी अपनी नई रणनीति के साथ काम करेगी ताकि 2024 में आने वाले लोकसभा चुनाव तथा उसके पहले होने वाले विधानसभा चुनावों में मजबूती से मुकाबला कर सके। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में गुलाम नबी आजाद और दिग्विजय सिंह आदि ने भी सुझाव का समर्थन किया। कांग्रेस का इससे पहले मध्यप्रदेश के पंचमढ़ी में 1998 में चिंतन शिविर हुआ था।
जिसमें पार्टी संगठन के लिए कई बिन्दु तय किए गए थे। संभवत: उसी तर्ज पर राजस्थान में होने वाला यह चिंतन शिविर होगा, जिसमें पार्टी को फिर से खड़ा करने के फॉमूर्ले पर विचार होकर रणनीति बनेगी। इस बीच साढ़े चार घंटे चली कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तरफ से इस्तीफे की पेशकश की चर्चा होने की अपुष्ट खबरें आई लेकिन बताया जाता है कि बैठक में मौजूद सभी नेताओं ने इसे ठुकरा दिया और कहा कि सोनिया गांधी के नेतृत्व में सभी कांग्रेसजनों का भरोसा कायम है।
कांग्रेस नेताओं का मानना था कि इस्तीफों से कांग्रेस का कार्यकर्ता और हताश होगा। सभी कार्यकतार्ओं के बीच फिलहाल इस संदेश की जरूरत है कि पार्टी इस हार के बावजूद भी पूरी ताकत के साथ मुकाबले के लिए तैयार है। बैठक के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बैठक में मौजूद सभी नेताओं ने सोनिया गांधी के नेतृत्व पर भरोसा जताया है। सुरजेवाला ने कहा कि पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव समेत अगले सभी विधानसभा चुनाव में चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि सोनिया गांधी के नेतृत्व पर सभी को भरोसा है। वह पार्टी का नेतृत्वकरती रहेंगी। बैठक में पार्टी को मजबूत करने की रणनीति पर चर्चा हुई। वहीं, कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठकके दौरान कांग्रेस हेडक्वाटर्स के बाहर कार्यकर्ता जमा हुए और उन्होंने राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने कोलेकर नारेबाजी की। इसके साथ ही उन्होंने प्रियंका गांधी के समर्थन में भी नारे लगाए।
गहलोत की कल की भूमिका के बाद गांधी परिवार में गहलोत का रुतबा और ज्यादा बढ़ गया है । सोनिया,राहुल गांधी और प्रियंका गांधी परिवार की निर्भरता अब गहलोत के पर बढ़ती जा रही है । कतिपय लोगोंद्वारा गहलोत का नाम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उछाल कर उन्हें गांधी परिवार की नजरों से गिराने औरराजस्थान की कुर्सी पर काबिल होने के मंसूबे गहलोत की जादूगरी के आगे हवा हो गए है।उनकी जादूगरी सेगांधी परिवार भी चमत्कृत है।
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