Thursday, July 4, 2024
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Art of Weaver Society: हस्‍तकलाओं में सबसे आगे राजस्थान के लालपुरा गांव के बुनकर, देश से लेकर विदेशों तक हो रही चर्चा

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India News (इंडिया न्यूज), Art of Weaver Society: भारत अपनी संस्कृति, परंपरा और हस्‍तकलाओं के लिए जाना जाता है। विदेशों में भी भारत के लोगों द्वारा हाथों से बनाई गई हस्‍तकलाओं को काफी ज्यादा पसंद किया जाता है। इस बता दें कि हमारे देश के लोगों को हस्‍तकलाएं भगवान की दी हुई अमूल्‍य देन हैं, जो मानव के सौन्‍दर्य-बोध की आवश्‍यकता एवं आत्‍मअभिव्‍यक्ति की जिज्ञासा का माध्‍यम है। हस्‍तकलाओं का वास्‍तविक महत्‍व प्रत्‍येक वस्‍तु के नयेपन व आश्‍चर्य में निहित है। हस्तकला और कला अपने आप में एक अलग ही पहचान देती है।

चर्चा में बुनकर समाज के लोग

दरअसल, राजस्थान में सांचौर जिले के लालपुरा गांव के बुनकर समाज के लोगों ने अपनी हास्त कला के जरिए राज्य स्तर पर पांच से अधिक बार राज्य बुनकर पुरस्कार प्राप्त कर चूके है। बुनकर समाज को पहचान इस समाज द्वारा अपने हाथों से बनाए जाने वाले वस्त्रों की कलाकृति और एक अलग प्रतिभा है। बुधाराम बुनकर ने बताया “देशी भैङ की ऊन से पट्टू का क्रियान्वयन आधुनिकता के चकाचौंक के चलते कम हो गया है। पहले के दौर में पट्टू की मांग अधिक रहती थी। जिसकी आमदनी अच्छी खासी हो जाती थी। लेकिन बदलते समय और परिवेश के चलते अब आमदनी पर काफी प्रभाव पड़ रहा है। एक पट्टू बनाने के खर्च के मुक़ाबले अधिक होता है। जिसकी आमदनी अच्छी हो जाती है।”

हस्त कला और हथ करघा व्यवसाय

बुनकरों ने बताया “बुनकर समाज का मुख्य कार्य हस्त कला और हथ करघा ही व्यवसाय माना जाता है। अगर बुनकर समाज को समिति या उधोग विभाग की ओर से योजनाओं का लाभ मिले तो, क्षेत्र में रोजगार के अवसर आसनी से मिल जाते है।” बता दें कि बुधाराम का कहना है “समाज धागा कातने और कपड़ा बुनने के काम को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ा रहा है। पुरखों ने हमें जो हुनर सिखाया है, उसे हम भूले नहीं है। आज मशीनी उत्पादों से लोगों का मोह भंग हो रहा है। हाथों से बने, शुद्ध और भरोसे के उत्पादों की तरफ लोग लौटना चाहिए। कृत्रिम की जगह प्राकृतिक चीजों का उपयोग करना चाहिए।”

बुनकर समाज की परम्परा

आपको बता दें कि बुनकरों ने बुनकर समाज की परम्परा को आज भी कायम और जिंदा रखा है। बुनकर समाज की महिलाओं में भी कला का बहुत ज्ञान होता है। इस समाज की महिलाएं हस्त कला, हथ करघा में माहिर होती है। महिलाओं को सम्बल प्रदान होता है तो वही, इस समाज की महिलाओं को रोजगार आसानी से मिल जाता है। बुनकरों ने आगे बताया “हमारे बनाए हुए वस्तुओं की मांग वक्त के साथ-साथ देश में कम है। लेकिन विदेशों में अधिक रहती है। व्यापार और‌ उधोग का बढ़ावा मिले तो क्षेत्र में महिलाओं को भी रोजगार मिल सकता है।” लालपुरा के बुनकरों को राज्य सरकार द्वारा बुनकर व बुनकर सहकारी समितियों राज्य स्तरीय पुरस्कार और राज्य बुनकर पुरस्कार सम्मान पत्र मिल चूके है। वर्ष 2023-24 में भी हाथकरघा क्षेत्र में हाथकरघा वस्त्र लुंकार के उत्कृष्ट उत्पादन के लिए राज्य स्तरीय बुनकर पुरस्कार प्रतियोगिता में सांत्वना राज्य स्तरीय बुनकर पुरस्कार भी दिया गया है।

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