कल्पना वशिष्ठ, जयपुर:
Bhanwar Jitendra Singh : देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अतिमहत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे कांग्रेस महासचिव भँवर जितेंद्र सिंह(Bhanwar Jitendra Singh) ने 75 जिलों के चप्पे-चप्पे पर दिल के बात सुनने के बाद यूपी के बड़े कांग्रेस नेताओं से लंबी गुफ्तगू की है। इसे मिशन 2024 का पहला भाग माना जा रहा है। सूत्रों की मानें तो अगले एक पखवाड़े में वे आलाकमान को रिपोर्ट सौंप देंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ये महत्वपूर्ण व बड़ी जिम्मेदारी भँवर जितेंद्र सिंह(Bhanwar Jitendra Singh) को दी थी। इस रिपोर्ट पर राहुल गांधी व प्रियंका गांधी की भी पूरी नजर है। वे पूरी ताकत से जुटे हैं।
लंबे समय बाद सभी जिलों में कार्यकतार्ओं से रूबरू होने कोई राष्ट्रीय नेता पहुंचा है। इससे यूपी के कांग्रेस कार्यकतार्ओं में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। उन्होंने जमीनी स्तर पर चर्चा के बाद यूपी के बड़े नेताओं से भी लंबी बातचीत की है। कार्यकतार्ओं के दर्द को बताया है। इसमें प्रमोद तिवारी, प्रमोद कृष्णम मुख्य हैं। पता चला है कि अगले एक पखवाड़े में वे अपनी रिपोर्ट आलाकमान को सौंप देंगे जो आगामी चुनाव में महत्वपूर्ण साबित होगी। जाहिर है, लोकसभा चुनाव का माहौल 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश से निकलता है। ऐसे में कांग्रेस के लिए ये मेहनत संजीवनी साबित हो सकती है।
पुख्ता सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय नेता भँवर जितेंद्र सिंह(Bhanwar Jitendra Singh) ने 6 महीनों से अन्न त्याग रखा है, वे फल व नींबू इत्यादि के पानी का ही सेवन ज्यादा करते हैं। इसके पीछे बड़ी तपस्या देश व कांग्रेस पार्टी की छिपी है। बड़ी बात ये है कि राजघराने में नाजुक रूप से पले-बड़े भँवर जितेंद्र सिंह 45 डिग्री से ज्यादा तापमान में पार्टी के लिए संघर्षरत हैं वो भी अन्न त्याग कर फलों के दम पर। देखा जाए तो अलवर राजघराने के इस इकलौते वारिस को ऐशोआराम की कमी नहीं है लेकिन उन्होंने राजनीति को सुख भोगने के साधन नहीं बल्कि सेवा के माध्यम के रूप में चुना।
वे अपनी मां युवरानी महेंद्र कुमारी की पदचिन्हों पर चलते हुए जनसेवा में समर्पित हैं। राजनीति से पहले भी उनके पास ख्याति, धन, बल की कमीं नहीं थी, फिर भी सेवा की लिए वे सियासत में आये। आज उनके कुशल व्यवहार के उदाहरण दिए जाते हैं। मेहनती स्वभाव की नीति ने ही उनको कांग्रेस में बड़ा मुकाम दिया। आज गांधी परिवार में उनकी मेहनत, पार्टी के लिए समर्पण की बड़ी कद्र है। बहरहाल, अलवर के लिए ये सौभाग्य कहा जायेगा कि देश में राजघराने के नाम के बाद राजनीति में भी राजघराने ने अलवर का नाम रोशन किया।
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