(इंडिया न्यूज),उदयपुर: (New variety of Matkis which is very attractive) राजस्थान का नाम सुनते ही मन में चारो ओर पुराने किले या रेत ही रेत आता है। लेकिन उदयपुर राजस्थान का एक ऐसा शहर है जहां मटकी के मेले का आयोजन किया जाता है। आपको बता दे कि उदयपुर शहर के गंगू कुंड पर ऐतिहासिक मटकी के मेले का आयोजन आंवला एकादशी के मौके पर किया जाता है। इस मेले की खास बात यह है कि इसमें विभिन्न तरीके के मटकों की बिक्री होती है। इसमें न सिर्फ उदयपुर बल्कि उदयपुर के आसपास के क्षेत्रों के ग्रामीण हिस्सा लेते हैं। इस मेले का आयोजन गर्मी की दस्तक माना जाता है।
मेले मे घी से लेकर पानी भरने तक के मिट्टी के पात्र मिलते हैं। मेले में पानी भरने की कलसी व भाण्डे, दही जमाने के लिए पात्र जावणियां, छाछ बिलौने के लिए गोली, घी रखने के लिए घिलोड़ी, आटा गूंदने की भणई, शादी-ब्याह के लिए महा मटला, रोटी सेकने के लिए केलड़ी, सब्जी व राब के लिए हांडी आदि मिट्टी के पात्र उपलब्ध कराए जाते है। कहने का तात्पर्य यह है कि जो मिट्टी का पात्र कही न मिले वो यहां मिल जाता है।
मेले में मटका बेचने आई मनीषाकुम्हार ने बताया कि बदलते परिवेश के साथ ही मटकों की मांग घटी है। इन दिनों बाजारों में मटकियो को कम बिक्री होती है। लेकिन अब विभिन्न प्रकार की नई वैरायटी की मटकियां तैयार की जा रही है जो दिखने में भी काफी आकर्षित है। इसके साथ ही मिट्टी की बोटल्स भी बनाई जा रही है।
इतिहासकार श्रीकृष्ण जुगनू ने बताया कि उदयपुर शहर में इस मेले का आयोजन करीब 800 वर्ष से भी पुराना है। यहां के महाराणा द्वारा इस मेले की शुरुआत की गई थी। इस मेले में उदयपुर के आसपास के गांव के कुम्हार अपने मटको की बिक्री के लिए यहां पर आते हैं। वर्षों से गंगू कुंड पर दो दिवसीय विशाल मटकी मेले का आयोजन किया जाता है।