राजस्‍थान में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय में 45% बढोतरी, आई.एम.शक्ति योजना से जुड़कर महिलाएं हुई सशक्त

जयपुर: (45% increase in honorarium of Anganwadi workers in Rajasthan) महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ने कहा कि राज्य सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को आर्थिक संबल देते हुए उनके मानदेय में 45 प्रतिशत बढोतरी की है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार की आई.एम.शक्ति (I AM SHAKTI) योजना से जुड़कर महिलाएं सशक्त हुई हैं और उद्योग स्थापित कर, कम्प्यूटर शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण लेकर प्रदेश की प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

भूपेश सोमवार यानी 13 मार्च को विधानसभा में महिला एवं बाल विकास विभाग (मांग संख्या-32) की अनुदान मांग पर हुई बहस का जवाब दे रही थीं। चर्चा के बाद सदन ने महिला एवं बाल विकास विभाग की 26 अरब 49 करोड़ 73 लाख 40 हजार रूपये की अनुदान मांगें ध्वनिमत से पारित कर दी।

1000 करोड़ रूपये की राशि से लाई गई इंदिरा महिला शक्ति योजना

महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि महिलाओं के सर्वांगीण सशक्तिकरण के उद्देश्य से एक हजार करोड़ रूपये की राशि से इंदिरा महिला शक्ति योजना लाई गई। इसके अंतर्गत उद्यम प्रोत्साहन योजना में अब तक 93 करोड़ 48 लाख रूपये के ऋण 1 हजार 694 महिलाओं को दिए गए है।

बेसिक कम्प्यूटर प्रशिक्षण से 2 लाख 56 हजार 655, कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रशिक्षण से 18 हजार 95, कौशल सामर्थ्य योजना से 10 हजार 808 महिलाओं एवं बालिकाओं को लाभान्वित किया गया है। साथ ही, कोरोना के समय ड्रॉप हुई 2 लाख 4 हजार 603 बालिकाओं को अध्ययन के लिए स्कूलों से पुनः जोड़ा गया।

लाभान्वितों की संख्या अब 48 लाख 64 हजार हो गई

उन्होंने यह भी बताया कि पूरक पोषाहार की नई व्यवस्था के अंतर्गत अप्रेल 2022 से कच्ची खाद्य सामग्री के स्थान पर माईक्रोन्यूट्रिएन्ट फोर्टीफाईड सामग्री कॉनफेड के माघ्यम से उपलब्ध कराई जा रही है। इसमें अब लाभान्वितों की संख्या 48 लाख 64 हजार हो गई है, जो 2018 की तुलना में 12 लाख अधिक़ है।

महिला एवं बाल विकास मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार पोषाहार को आंगनबाडी केन्द्रों तक डोर स्टेप डिलीवरी के माध्यम से वितरित कर रही है। इस व्यवस्था के अंतर्गत पोषाहार आपूर्ति चालानों पर क्यू.आर. कोड प्रिंट करवाये जा रहे है। साथ ही, पोषाहार प्राप्ति व वितरण की मोबाईल एप्प के माध्यम से निगरानी भी की जा रही है।

आंगनबाड़ी महिलाएं 24 घण्टें कार्य कर सशक्त रूप से सेवाएं दे रही

उन्होंने बताया कि 3 से 6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर शाला पूर्व शिक्षा दी जा रही है। इनकी संख्या वर्ष 2018 में 10 लाख थी, जो बढकर वर्तमान में 17 लाख से अधिक हो गई है। साथ ही, इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना का विस्तार अब सम्पूर्ण प्रदेश में कर दिया गया है। इसके अंतर्गत द्वितीय प्रसव पर महिला को पुत्र होने पर 6000 रूपये तथा पुत्री होने पर 8000 रूपये दिए जा रहे हैं।

भूपेश ने बताया कि आंगनबाड़ी महिलाएं 24 घण्टें कार्य कर सशक्त रूप से सेवाएं दे रही है। राज्य सरकार ने उनके मानदेय में 45 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। उन्होंने कहा कि बजट 2023-24 में राज्य में 8 हजार आंगनबाड़ी केन्द्र तथा 2 हजार मिनी आंगनबाड़ी केन्द्र खोलने की घोषणा की गई है। नवीन आंगनबाड़ी केन्द्र मापदण्डों के अनुरूप खोले जाएंगे। इस संबंध में विधायकगण अपने प्रस्ताव विभाग को भिजवाएं, जिन पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी।

गंभीर बीमारियों से बच्चेदानी कैंसर-कम उम्र में बांझपन की शिकार हो रही महिलाएं

महिला एवं बाल विकास मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना-2021 के अंतर्गत 18 हजार रूपये प्रति युगल अनुदान राशि को बजट घोषणा वर्ष 2023-24 में बढाकर 25 हजार कर दिया गया है। इसमें विभिन्न समाज के सामूहिक विवाह में कम से कम 25 युगलों के विवाह का होने पर 10 लाख रूपये अतिरिक्त सहायता आयोजक संस्था को देने की घोषणा भी की गई है।

भूपेश ने बताया कि 100 में से 65 महिलाएं माहवारी स्वच्छता नहीं रखने की वजह से गंभीर बीमारियों से ग्रसित होकर बच्चेदानी के कैंसर एवं कम उम्र में बांझपन की शिकार हो रही हैं। इन महिलाओं में स्वास्थ्य जागरूकता एवं निःशुल्क सेनेटरी नैपकिन वितरण करने के उद्देश्य से आई।एम।शक्ति उड़ान योजना वित्तीय वर्ष 2021-22 में लागू की गई। अभी 10 से 45 वर्ष की 1 करोड़ 51 लाख किशोरियों एवं महिलाओं को निःशुल्क सेनेटरी नैपकिन वितरण किया जा रहा हैं।

गरिमा की भावना बढ़ाने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना

महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि बेटियों के प्रति सम्मान एवं गरिमा की भावना बढ़ाने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियां संचालित की जाती हैं। उन्होंने बताया कि विभाग के सकारात्मक कार्यों के फलस्वरूप प्रदेश में जन्म का लिंगानुपात 929 (2015-16) से बढ़कर 947 (2021-22) हो गया। साथ ही, नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (2015-16) में संस्थागत प्रसव की दर राजस्थान में 84 प्रतिशत दर्ज की गई थी, जो अब (2020-21) में 95 प्रतिशत हो गई है।

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