Thursday, July 4, 2024
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Bhairon Singh Shekhawat: घर से 10 रुपए लेकर निकला था ये शख्स आज है बहुत बड़ा नेता, जानें

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India News (इंडिया न्यूज़),Bhairon Singh Shekhawat: राजस्थान विधानसभा चुनाव का समय पास है। ऐसे में अलग-अलग पार्टियां अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषिणा कर रही है। इस दौरान टिकट के लिए मारामारी चल रही है। तो वही, सभी पार्टी अपने इपने प्रचार प्रसार में लगी है। वैसे तो ज्यादातर पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं और बड़े-बड़े राजनेता सीएम गहलोत, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे अपने-अपने गढ़ में वोटरों को साधने में लगे हैं। इस बीच एक नेता चर्चाओं में बने हुए है जो राजस्थान के ‘बाबोसा’ के नाम से भी जानें जाते है, वैसे उनका नाम भैरों सिंह शेखावत है। जोकि अपनी पत्नी से 10 रुपये लेकर निकले थे और चुनाव के मैदान में उतर गए। खास बोत तो यह रही कि वे चुनाव जीत भी गए और राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री भी बने।

भैरों सिंह शेखावत की 100वीं जयंती

हाल ही में भैरों सिंह शेखावत की 100वीं जयंती मनाई गई जिसको लेकर पीएम मोदी ने भी ट्वीट कर उन्हे श्रद्धांजलि दी। बता दें कि भैरों सिंह शेखावत का जन्म 23 अक्टूबर 1923 को हुआ था। राजस्थान में उनको लोग बाबोसा के नाम से जानते हैं। उनका ये नाम इसलिए पड़ा क्योकि उन्होने हमेशा राजस्थान के अधिकारों के लिए आवाज उठाई जिसको लेकर लोग उनके बाबोसा बोलते थे। भैरों सिंह शेखावत तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री, तीन बार विपक्ष के नेता, राज्यसभा सदस्य और 12 बार विधायक चुने।

पहली बार साल 1952 में हुए चुनाव

देश में पहली बार साल 1952 में चुनाव हुए थे, तब देश में सिर्फ कांग्रेस ही कांग्रेस फैला था। बता दें कि जमींदार और राजघराने कांग्रेस के विरोध में थे, ऐसे में जनसंघ जिसकी जिम्मेदारी राजस्थान में लालकृष्ण आडवाणी पर थी, उनको जनसंघ के लिए ऐसे उम्मीदवारों की भी तलाश थी जो इसके लिए योग्य हो। इस लिस्ट में वह उम्मीदवारों की तलाश में सीकर पहुंचे। तब वहां उन्होंने बिशन सिंह शेखावत से मिले। इस बीच बता दें कि बिशन सिंह शेखावत आरएसएस से जुड़े हुए थे और आडवाणी उनको टिकट देना चाहते थे।

आडवाणी अपनी मांग पर अड़े रहे

लालकृष्ण आडवाणी, बिशन सिंह से बोले कि आप सीकर की दातारामगढ़ सीट से चुनाव लड़ लो, क्योंकि इस सीट पर काफी लोग आपको और आपके परिवार को अच्छे से जानते थे। लेकिन बिशन सिंह ने लड़ने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि उनकी अभी नौकरी लगी है इसलिए चुनाव नहीं लड़ सकते। लेकिन आडवाणी अपनी मांग पर अड़े रहे और बार-बार उनसे चुनाव लड़ने का दबाव बनाते रहे। जब उनको लगा कि आडवाणी नहीं मानेंगे तो उन्होंने कहा कि आप मेरे भाई को टिकट दे दो और वो भाई ही भैरोंसिंह शेखावत थे।

 

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