Worship of Maa Chandraghanta : इस बार चैत्र नवरात्रि 2 मार्च 2022 से शुरू हो गए है। हिंदूधर्म के अनुसार नवरात्रि के दिनों को बहुत शुभ माना जाता है। नवरात्रों के आने का लोग बहुत बेसब्री से इंतजार करते है। नवरात्रों के नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। पहले दिन लोग मां की प्रतिमा को बड़े धूमधाम से अपने घर में लाते है। शुभ मुहुर्त को देखकर घर पर मां की स्थापना करते है। नवरात्रों में माँ के आने के लिए काफी समय पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाता है।
आज नवरात्रि का तीसरा दिन है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा- अर्चना की जाती है।माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है, जिस वजह से भक्त मां को चंद्रघंटा कहते हैं। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता चंद्रघंटा को राक्षसों की वध करने वाला कहा जाता है। मां चंद्रघंटा अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा रखा हुआ है। जानते हैं माता चंद्रघंटा की पूजा विधि, महत्व, मंत्र और कथा
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की विधि- विधान से तीसरे स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। मां की अराधना के लिए आप माँ के मन्त्र उं देवी चंद्रघंटायै नम: का जप करके की जाती है।
माता चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप, पुष्प अर्पित करें। आप मां को दूध से बनी हुई मिठाई का भोग भी लगा सकती हैं।
नवरात्रि के हर दिन नियम से दुर्गा चालीस और दुर्गा आरती करें।
वन्दे वाच्छित लाभाय चन्द्रर्घकृत शेखराम्।
सिंहारूढा दशभुजां चन्द्रघण्टा यशंस्वनीम्॥
कंचनाभां मणिपुर स्थितां तृतीयं दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशंर पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्यां नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर हार, केयूर, किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुग कुचाम्।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटिं नितम्बनीम्॥
*********** स्तोत्र **********
आपद्धद्धयी त्वंहि आधा शक्ति: शुभा पराम्।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यीहम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम्।
धनदात्री आनंददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
कवच रहस्यं श्रणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघण्टास्य कवचं सर्वसिद्धि दायकम्घ॥
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोद्धरं बिना होमं।
स्नान शौचादिकं नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिकमघ॥
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च।
ऐसी मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से ऐश्वर्य और समृद्धि के साथ सुखी दाम्पत्य जीवन की प्राप्ति होती है। विवाह में आ रही अर्चने दूर हो जाती हैं। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। आपको किसी तरह के शत्रुओं का डर नहीं सता सकता है और कुंडली में ग्रह दोष की समस्याए दूर हो जाती हैं। मां व्यक्ति के मन में डर को दूर कर आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करती है। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से सुंदर, निरोगी काया भी मिलती है।
जय माँ चन्द्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती।
चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
क्रोध को शांत बनाने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली॥
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्रघंटा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली।
हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये।
श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए।
शीश झुका कहे मन की बाता॥
पूर्ण आस करो जगत दाता।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा॥
कर्नाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटू महारानी॥
भक्त की रक्षा करो भवानी।
Worship of Maa Chandraghanta
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