India News(इंडिया न्यूज), Surya Dev Katha: सनातन धर्म के अनुसार सप्ताह के हर एक दिन किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। हिंदू परंपरा के अनुसार रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित होता है। इस दिन ना सिर्फ सूर्य देवता बल्कि भय को भगाने वाले भैरव और दुष्टों का संहार करने वाली मां दुर्गा की भी पूजा की जाती है।
सूर्य सफलता, आत्मविश्वास, यश, सेहत देने वाले ग्रह हैं। ऐसे में अगर सूर्य की कृपा हो तो करियर-कारोबार में खूब सफलता हासिल की जा सकती है। ऐसा करने वाला राजनीति में खूब नाम कमाता है। उसकी नेतृत्व करने की क्षमता अच्छी होती है। इस आर्टिकल में हम सूर्य देव की कथा को पढ़ेंगे।
ब्रह्मा के पुत्र मरीचि और मरीचि के बेटे महर्षि कश्यप का विवाह प्रजापति दक्ष की पुत्री दीति और अदिति के साथ हुआ था। अदिति दैत्य और देवताओं में आपसी लड़ाई से दुखी रहती थी। जिसके बाद अदिति ने सूर्य देव की उपासना की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने उन्हें पुत्र के रूप में जन्म लेने का वर दिया। कुछ समय बाद अदिति को गर्भवती हुईं पर उन्होंने कठोर उपवास नहीं छोड़ा।
इस बात से महर्षि कश्यप भी चिंतित रहने लगे कि इससे अदिति का स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा। जब महर्षि कश्यप ने अदिति को समझाया तब उन्होंने कहा कि संतान को कुछ नहीं होगा, क्योंकि ये वे खुद सूर्यदेव का ही स्वरूप है।
कुछ समय बाद एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया। जिसने देवताओं की रक्षा की और असुरों का संहार किया। सूर्य देव को आदित्य भी कहा गया, क्योंकि उन्होंने अदिति के गर्भ से जन्म लिया था।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रतिदिन प्रातःकाल सूर्यदेव की उपासना करने और जल अर्पित करने से जातकों पर उनकी कृपा बनी रहती है।
डिस्क्लेमर- ये आर्टिकल केवल सामान्य मान्यताओं को अभिव्यक्त करता है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।
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