छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि संबंधित व्यक्ति की अनुमति के बिना टेलीफोन पर बातचीत रिकॉर्ड करना ‘निजता के अधिकार’ का उल्लंघन है। कोर्ट ने गुजारा भत्ता के एक मामले में महासमुंद की फैमिली कोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया है। जिसमें साक्ष्य के रूप में मोबाइल फोन की रिकॉर्डिंग को दिया गया था
बता दें कि वकील गोवर्धन ने कहा कि याचिकाकर्ता (पत्नी) द्वारा गुजारा भत्ता देने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत आवेदन दायर किया गया था। वकील ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता महिला ने इससे संबंधित साक्ष्य अदालत में पेश किए थे। जबकि दूसरी ओर महिला के पति ने अपनी पत्नी के चरित्र पर संदेह के आधार पर गुजारा भत्ता देने से मना किया था। उसने फैमिली कोर्ट के सामने आवेदन दाखिल किया और कहा कि याचिकाकर्ता की बातचीत उसके मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड की है।
निजता के अधिकार का उल्लंघन
जानकारी के मुताबिक वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता ने 21 अक्टूबर 2021 के फैमिली कोर्ट के उक्त आदेश से दुखी होकर हाईकोर्ट का रुख किया याचिकाकर्ता ने कहा कि यह उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन माना जाएगा। साथ ही कहा गया कि याचिकाकर्ता की जानकारी के बिना प्रतिवादी (पति) ने बातचीत को रिकॉर्ड किया था। इसलिए इसका उपयोग उसके खिलाफ नहीं कर सकते है।
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