India News (इंडिया न्यूज़) Rajasthan Election: लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि है। जनता अगर चाहे तो किसी भी उम्मीदवार फर्श से अर्श और अर्श से फर्श दिखा सकती है। ऐसे में उम्मीदवार की योग्यता, पार्टी और प्रतिष्ठा भी मायने नहीं रखती है। सीकर में LLB पढ़े को दरकिनार कर अंगूठा टेक उम्मीदवार को जनता ने अपना नेता चुना।
दयाराम महरिया कहते हैं कि 1952 में सीकर तहसील विधानसभा से कांग्रेस से रामदेव सिंह महरिया और राम राज्य परिषद से पृथ्वी सिंह प्रत्याक्षी थे। इनके सामने कृषकार लोक पार्टी ने ईश्वर सिंह को अपना उम्मीदवार चुना। इनमें एलएलबी किए हुए रामदेव सिंह सबसे पढ़े लिखे व ईश्वर सिंह निरक्षर उम्मीदवार थे। ईश्वर सिंह हस्ताक्षर करना भी नहीं जानते थे। लेकिन इस चुनाव में जनता ने उम्मीदवारों की शैक्षिक योग्यता को दरकिनार कर ईश्वर सिंह को 20912 में से 8467 मत देकर भारी बहुमत से जीत हासिल कराया।
बता दें कि सीकर तहसील से चुनाव हारने के बाद रामदेव सिंह महरिया ने 1957 और 1962 का चुनाव सिंगरावट विधानसभा चुनाव जीता। 1967 के चुनावी मैदान में एक बार फिर ये उतरे लेकिन इस बार इनके सामने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी केे बद्रीनारायण सोढाणी थे। सांवली में एशिया के सबसे बड़े टीबी अस्पताल और धोद रोड पर होम्योपैथिक अस्पताल सहित कई समाजसेवी कार्यों की वजह से सोढ़ाणी उस समय विकास के रास्ते पर था। इस चुनाव में सोढाणी की सामाजिक काम महरिया की राजनीति भारी पड़ी। 49154 वोटो में से सोढाणी के 21471 मतों के मुकाबले महरिया ने 25048 मत हासिल कर यह चुनाव 3577 मतों से जीता।
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