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Rajasthan Election 2023: बंटी, बिखरी, लड़ी फिर भी डट कर खड़ी! 2024 में कांग्रेस का क्या होगा?

• LAST UPDATED : December 4, 2023

India News(इंडिया न्यूज़), Rajasthan Election 2023: राजनीति और युद्ध में बहादुरी से ज्यादा समझदारी अहम है। अगर वह समझदारी में कहीं पर भी चुक होगी तो अच्छे-अच्छे योद्धा मुंह के बाल गिर जाते हैं। वहीं अगर वह जरुरत अनुसार समझदार होगा तो ठीक-ठाक युद्ध अभिमन्यु कहलाते हैं। रण में उतरने से पहले रणनीति का होना बहुत जरूरी है परंतु उसे रणनीति को अपनी सूझबूझ समझदारी के साथ तैयार करना भी उतना ही जरूरी है।

कांग्रेस पार्टी हुई है। संगठन से लोग रूठ कर या अवसर पाकर उसे छोड़ने रहे हैं। जाने के क्रम को रोकना और रुके हुए लोगों को समझो के रखना एक मत करना और एक जुट करके रखना ही एक लीडर का पहला कर्तव्य है। वही लड़ाई लड़ने से पहले अंतर कल है पर काबू पर बहुत जरूरी है। इससे लोग आपकी मंशा और मजबूती पर संदेह नहीं करते।

संगठन बिखर चुका है। इसका कारण शीर्ष नेतृत्व या गांधी परिवार की भाषा तथा राज्यों में कांग्रेस सरकारों तथा नेताओं की भाषा में तालमेल न होना है। राहुल की कहानी किसी बात को झंडा बनाकर आखिरी गली मोहल्ले में लड़ने से कार्यकर्ताओं को बनाना जुटाना और प्रबंध करने की दिशा में कोई बड़ा और सतर्क प्रयास हमें देखने को नहीं मिला।
माना कि राहुल अकेले मोदी और संघ को ललकार रहे है। परंतु केवल लाल करने से तो युद्ध को जीत नहीं जाता। युद्ध जीतने के लिए ना फौज तैयार है और ना ही रथ। योद्धाओं में कोई संगठित पर्यटन या प्रबंध रणनीति भी नजर नहीं आई।

राजस्थान में कांग्रेस की हार

बीते 5 सालों में अशोक गहलोत द्वारा राजस्थान में बहुत से अच्छे काम किए गए हैं। परंतु कई मामलों में वह देश के सामने उदाहरण पेश करते नजर आए। खुद पीएम ने उनके कामकाज की तारीफ करी थी। परंतु इन 5 वर्षों में जनता को केवल कुनबे की कलर नजर आई। ठीक वैसे ही जैसे 2012 से 2017 के बीच अखिलेश सरकार में यूपी के लोगों ने देखी थी। अपनी खुद की सीमाओं और असमंजस में उलझी कांग्रेस आखिर के 2 सालों में जब थोड़ा स्पष्ट होने लगी तभी वह ना तो उसे कलर को सुलझा पाई और ना ही स्थिरता का संदेश दे सकी।

अपने प्रदेश को आप जलते और बिखरने देंगे वहीं दूसरी ओर खुद देश जोड़ने निकल पड़ेंगे तो जीत का मोहर कोई आपको क्यों सौंपेंगा। सचिन पायलट द्वारा इन 5 वर्षों में कांग्रेस को जितना कमजोर किया गया उतना शायद ही विपक्ष ने कभी किया होगा। सवाल सचिन की महत्वाकांक्षा या गहलोत के है का नहीं सवाल तो अपनी जनता के साथ सही करने का है और वही परिणाम हम सबके सामने है।

यह भी पढ़ें- Rajasthan Election 2023: कांग्रेस का सपना चकनाचूर, BJP के 5 ‘पावर हाउस’ ने बदला गेम

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