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Parshuram Jayanti पर विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती है, जाने पूजा की विधि

Parshuram Jayanti 2022

धरती पर अन्याय और पाप के विनाश के लिए जन्में भगवान परशुराम की जयंती बहुत ही शुभ मानी जाती है। बैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हर वर्ष परशुराम जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में अपना 6वां अवतार लिया था।

इसी वजह से इस दिन अक्षय तृतीया के साथ परशुराम जयंती भी सेलिब्रेट की जाती है। परशुराम का जन्म भले ही ब्राह्मण कुल में हुआ हो लेकिन उनके गुण क्षत्रियों की तरह थे। ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पांच पुत्रों में से चौथे पुत्र परशुराम थे। परशुराम भोलेनाथ के भक्त थे।

परशुराम जयंती का शुभ मुहूर्त

Parshuram Jayanti 2022

इस साल परशुराम जयंती 3 मई को मनाई जा रही है। इस दिन का शुभ मुहूर्त 3 मई मंगलवार की सुबह 5 बजकर 19 मिनट से आरंभ होगा और 4 मई की सुबह 07 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। इस दिन रोहिणी नक्षत्र भी भी है साथ ही मातंग नाम का शुभ योग भी बन रहा है। ऐसे में इस बार ये तिथि बेहद शुभ मानी जा रही है।

परशुराम जयंती की पूजा-विधि

 

भगवान परशुराम की जयंती पर विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान परशुराम जी को बहुत ही क्रोध करने वाला माना जाता है लेकिन विधि-विधान से पूजा करने से वह अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं और उनके जीवन के सारे कष्टों को दूर कर देते हैं। भगवान शिव का एकमात्र शिष्य परशुराम जी को ही माना जाता है। साथ ही वह आपने गुरु की भाति ही आपने भक्तों पर जल्द प्रसन्न होने वाले भी माने जाते हैं।

Parshuram Jayanti 2022

परशुराम जयंती पर शुभ मुहूर्त से पहले उठकर स्नान करके स्वच्छ हो जाएं। आप नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं। इसके बाद आपको व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूजा स्थान पर या किसी साफ स्थान पर साफ कपडा बिछाकर भगवान परशुराम की प्रतिमा को स्थापित करें।

अब आप दीपक जलाएं और धूप या अगरबत्ती भी जलाएं। अब आपको पंचोपचार की पूजा करना चाहिए। इसमें आप फूल, चावल, रोली, मोली आदि रखे। अब आप भगवान परशुराम जी को मिठाई का भोग लगाएं। अब आरती करे और आरती के बाद प्रसाद लोगों में बांटना चाहिए। इस दिन सिर्फ फलाहार का ही करना चाहिए।

इस वजह से परशुराम नाम पड़ा

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी का जन्म धरती पर हो रहे अन्याय, अधर्म और पाप कर्मों का विनाश करने के लिए हुआ था। उन्हें सात चिरंजीवी पुरुषों में से एक माना जाता है। परशुराम का जन्म के वक्त राम नाम रखा गया था। वे भगवान शिव की कठोर साधना करते थे। जिसके बाद भगवान भोले ने प्रसन्न होकर उन्हें कई अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए थे। परशु भी उनमें से एक था जो मुख्य हथियार था। परशु धारण करने के कारण नाम परशुराम पड़ा।

माता का इस वजह से किया वध

मान्यता अनुसार एक बार परशुराम जी की माता रेणुका से कोई अपराध हो गया था। इस पर ऋषि जमदग्नि क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने सभी पुत्रों को मां का वध करने का आदेश दे दिया। इस पर परशुराम के सभी भाईयों ने वध करने से मना कर दिया लेकिन परशुराम जी ने पिता आज्ञा का पालन करते हुए माता रेणुका का वध कर दिया। इससे प्रसन्न होकर ऋषि जमदग्नि ने परशुराम जी को तीन वर मांगने को कहा था।

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Kanchan Rajput

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