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कब है​ Nirjala Ekadashi 2022 व्रत? जानें पूजा मुहूर्त, पूजन विधि और उपाय

• LAST UPDATED : May 27, 2022

Nirjala Ekadashi 2022

इंडिया न्यूज़ : निर्जला एकादशी का व्रत प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। ज्येष्ठ के महीने में जल की पूजा करना महत्वपूर्ण है क्योंकि इस महीने में सूर्य देव का तेज प्रचंड होता है, जिससे गर्मी अधिक हो जाती है। निर्जला एकादशी व्रत को पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। इस एकादशी व्रत को करने का पुण्य सभी तीर्थों और दानों से बढ़कर बताया गया है। जो लोग निर्जला एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें इस व्रत का पुण्य फल मिलता है। मृत्यु के समय फ़रिश्ते उसकी आत्मा लेने आते हैं, न कि यमदूत। वे पुष्पक विमान पर बैठकर आत्मा को स्वर्ग में ले जाते हैं।

Nirjala Ekadashi 2022

Nirjala Ekadashi 2022

सभी व्रतों में निर्जला एकादशी का व्रत श्रेष्ठ होता है। इस बार निर्जला एकादशी का व्रत शुक्रवार, 10 जून को रखा जाएगा। चलिए जानते है, निर्जला एकादशी व्रत, पूजा मुहूर्त, महत्व, पूजन विधि और महाउपाय के बारे में।

पूजा का मुहूर्त 

निर्जला एकादशी का व्रत शुक्रवार, 10 जून 2022 को सुबह 07 बजकर 25 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन शनिवार, 11 जून 2022 को शाम 05 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी। इसी दिन इस व्रत का पारण भी किया जाएगा।

निर्जला एकादशी का महत्व

निर्जला एकादशी पर बिना जल ग्रहण किए भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इस व्रत को करने से साल भर की एकादशी का फल मिलता है। कहा जाता है कि भीम ने केवल यही व्रत रखा था और बेहोश हो गए थे। इस कारण इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।

निर्जला एकादशी की पूजन विधि 

निर्जला एकादशी के दिन सुबह स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद पीले वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत करे। भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी की पत्तिया चढ़ाएं। साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। व्रत का संकल्प लेने के बाद अगले दिन सूर्योदय तक जल की एक बूंद भी न लें। इसमें अन्न और फल भोजन का भी त्याग करना होगा। अगले दिन यानि द्वादशी तिथि को स्नान करके पुनः श्रीहरि का पूजन कर भोजन और जल ग्रहण करें और व्रत तोड़ें।

निर्जला एकादशी के महाउपाय 

निर्जला एकादशी के दिन जरूरतमंद लोगों को दान करने से मनोवांछित फल मिलता है और सभी पापों का नाश होता है। इस दिन एक चकोर भोजपत्र पर केसर में गुलाबजल मिलाकर ओम नमो नारायणाय मंत्र तीन बार लिखें। अब आसन पर बैठकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें, पाठ के बाद इस भोजपत्र को अपने पर्स या जेब में रख लें। धन वृद्धि के साथ रुका हुआ धन भी मिलेगा।

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