Navratri 2022 9th Day : चैत्र नवरात्रि का आज अंतिम दिन है। नवरात्रि के अंतिम दिन में मां सिद्धिदात्री की पूजा- अर्चना की जाती है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सिद्धिदात्री भक्तों की सभी मनोकामनाों को पूरा करती हैं और उन्हें यश, बल और धन भी प्रदान करती हैं। शास्त्रों के अनुसार मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है।
मां सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व की 8 सिद्धियां हैं। मां सिद्धिदात्री कमल पर महालक्ष्मी के समान विराजमान हैं। मां के चार हाथ हैं। मां ने हाथों में शंख, गदा, कमल का फूल और च्रक धारण किया है। मां सिद्धिदात्री को माता सरस्वती का रूप भी मानते हैं। आइये जानते है माँ की पूजा-अर्चना
ब्रह्म मुहूर्त- 04:31AM से 05:16 AM
अभिजित मुहूर्त- 11:57 AM से 12:48 PM
विजय मुहूर्त- 02:30 PM से 03:21 PM
गोधूलि मुहूर्त- 06:31 PM से 06:55 PM
अमृत काल- 11:50 PM से 01:35 AM, अप्रैल 11
निशिता मुहूर्त- 12:00 PM से 12:45 AM, अप्रैल 11
रवि पुष्य योग- पूरे दिन
सर्वार्थ सिद्धि योग- पूरे दिन
रवि योग- पूरे दिन
आम की लकड़ी, आम के पत्ते , पीपल का तना , छाल , बेल , नीम, गूलर की छाल ,चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, मुलैठी की जड़, कपूर, तिल, चावल, लौंग, गाय की घी, इलायची, शक्कर, नवग्रह की लकड़ी, पंचमेवा, जटाधारी नारियल, गोला, जौ
नवरात्रि की नवमी तिथि को बैंगनी या जामुनी रंग पहनना शुभ होता है। यह रंग अध्यात्म का प्रतीक होता है।
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करना अति उत्तम माना जाता है। कहते हैं कि नवरात्रि के आखिरी दिन कन्या पूजन करने से मां सिद्धिदात्री प्रसन्न होती हैं।
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥
Navratri 2022 9th Day
Also Read : Kuttu ka Dosa : चैत्र नवरात्रि के व्रत में अगर आप कुछ नया ट्राई करना चाहते हैं तो बनाएं कुट्टू का डोसा
Also Read : Falahari Aloo Paneer Kofta : नवरात्रि के व्रत में खाएं फलाहारी आलू पनीर कोफ्ता