India News(इंडिया न्यूज),Govatsa Dwadashi festival: बछ बारस या गोवत्स द्वादशी पर्व एक ऐसा पर्व है, जो कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वादशी को मनाया जाता है। जी हां गोवत्स द्वादशी पर्व यूं तो भाद्रपद कृष्ण पक्ष और कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वादशी को विशेष तौर भी गोवत्स द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। इतना ही नही इसे बच्छ दुआ और वसु द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है। भारत के अधिकांश हिस्सों में भाद्रपद कृष्ण द्वादशी को गोवत्स द्वादशी मनाई जाती है। कई पुराणों में गौ के अंग-प्रत्यंग में देवी-देवताओं की स्थिति का विस्तृत वर्णन प्राप्त होता है।
पूर्व पार्षद तिलक शाखा के सरक्षक मुकेश श्रीमाल ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रातः वागड वाटिका के समीप बछ बारस के दिन सनातनिय महिलाएं सुबह स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करे दूध देने वाली गाय को बछड़े सहित स्नान करवा कर गाय व बछड़े की पूजा अर्चना कर गौमाता को रोटी व धान अर्पित कर गोवत्स द्वादशी की कथा का श्रवण किया।
इसके बाद नारियल का गोला माता अपनें पुत्र को आशीर्वाद स्वरूप देती है। बता दें कि इस दिन गाय का दूध, दही, गेहूं और चावल नहीं खाने का विधान है। इनकी जगह इस दिन अंकुरित मोठ, मूंग, तथा चने आदि को भोजन में उपयोग किया जाता है और इन्हीं से बना प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस दिन चाकू द्वारा काटा गया कोई भी पदार्थ भी खाना वर्जित होता है। यह व्रत सनातनिय महिलाएं अपने पुत्र के स्वस्थ,मंगल व दुर्गायु जीवन की कामना हेतु करती है।