Gangaur Puja Starts In Rajasthan : वैसे तो दुलहांडी का नाम दिल में रंग-गुलाल और होली का मजा ले आता है, लेकिन राजस्थान में लड़कियां और महिलाएं इसी दिन से गणगौर की पूजा करने लगती हैं। यह पूजा पहले चैत्र कृष्ण यानि दुलहांडी से शुरू होकर चैत्र शुक्ल तृतीया यानि तीसरे नवरात्र पर समाप्त होती है। 16 दिनों तक चलने वाली गणगौर पूजा राजस्थान का प्रमुख त्योहार है, लेकिन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात के कुछ इलाकों में भी इसे मनाया जाता है। गणगौर को गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। इस बार बड़ी गणगौर 4 अप्रैल को मनाई जाएगी।
अखंड सौभाग्य के लिए मनाया जाने वाला गणगौर पर कुंवारी लड़कियां और सुहागिन महिलाएं घर-घर में गणगौर यानी शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। इसमें ईश्वर और गौर यानी शिव-पार्वती की मिट्टी की मूर्ति बनाकर सोलह शृंगार कर सजाया जाता है। 16 दिन तक लगातार पूजा करते हैं। गीत गाते हैं। बड़ी गणगौर के दिन व्रत रखकर शाम को गणगौर की कथा सुनते हैं। (Gangaur Puja Starts In Rajasthan)
गणगौर पूजन के लिए कुंवारी कन्याएं और सुहागिन स्त्रियां सुबह में सुंदर वस्त्र, आभूषण पहन कर सिर पर लोटा लेकर बाग़-बगीचों में जातीं हैं। वहीं से ताजा जल लोटों में भरकर उसमें हरी-हरी दूब और फूल सजाकर सिर पर रखकर गणगौर के गीत गाती हुईं घर आती हैं। इसके बाद मिट्टी से बने शिव स्वरूप ईसर और पार्वती स्वरूप गौर की प्रतिमा और होली की राख से बनी 8 पिंडियों को दूब पर एक टोकरी में स्थापित करती हैं।
शिव-गौरी को सुंदर वस्त्र पहनाकर सम्पूर्ण सुहाग की वस्तुएं अर्पित करके चन्दन, अक्षत, धूप, दीप, दूब घास और पुष्प से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। पूरे 16 दिन तक दीवार पर सोलह-सोलह बिंदियां रोली, मेहंदी, हल्दी और काजल की लगाई जाती हैं। दूब से पानी के 16 बार छींटे 16 शृंगार के प्रतीकों पर लगाए जाते हैं। गौर तृतीया को व्रत रखकर कथा सुनकर पूजा पूर्ण होती है। (Gangaur Puja Starts In Rajasthan)
इसके बारे में अलग-अलग किवदंतियां हैं। कुछ की मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव का विवाह हुआ था। वहीं कुछ मानते हैं कि इस दिन पार्वती जी सोलह शृंगार करके सौभाग्यवती महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देने के लिए निकली थीं। इसलिए इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव के साथ पार्वती जी की पूजा करती हैं।
गणगौर पूजन में गुनों का विशेष महत्व है। यह मैदा, बेसन या आटे में हल्दी या पीला रंग मिलाकर बनाए जाते हैं। यह मीठे और नमकीन होते हैं। मान्यता है कि जितने गहने यानी गुने पार्वती जी को चढ़ाए जाते हैं, उतना ही धन-वैभव बढ़ता है। पूजा करने के बाद ये गुने महिलाएं अपनी सास, जेठानी और ननद को दे देती हैं। गुनों का आकार एक गहने की तरह होता है। पहले इसे गहना कहा जाता था, अब इसका अपभ्रंश नाम गुना हो गया है।
Gangaur Puja Starts In Rajasthan
Also Read : Holi Special Gifts : इस बार होली पर अपनों को दें ये खास तोहफा, दिलाएं अपनेपन का एहसास
India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Bharat Bandh: भारत बंद के चलते यह अवकाश केवल छात्रो…
India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Rajya Sabha by-election: राज्यसभा उपचुनाव की तारीख की घोषणा हो…
India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Alwar News: टाइगर 2303 अब हरियाणा से वापस अलवर जिले…
India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Bharatpur News: भरतपुर के आरबीएम में महिला के अचानक प्रसव…
India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Bikaner News: थाना इलाके के कानासर गांव में देर रात…
India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Sirohi News: आबूरोड रीको पुलिस ने सात दिन पूर्व वृद्ध विधवा…