भरतपुर(The soldier got the status of martyr): कमांडेंट विजय सिंह ने बताया कि जवान अर्जुन सिंह के परिजनों ने कुछ साल पहले उनके शहीद के दर्जे के लिए विभाग में आवेदन किया था। सीआरपीएफ अधिकारीयों का कहना है कि शहीद के परिवार को मिलने वाली सभी सुख-सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। 56 साल पहले मणिपुर में नागा विद्रोहियों से लोहा लेते समय वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
अर्जुन सिंह के परिजनों ने बताया कि अर्जुन सिंह को बचपन से ही देश सेवा का जुनून सवार था। सीआरपीएफ कमांडेंट विजय सिंह ने बताया कि पूर्व में वीरगति को प्राप्त हुए जवानों को शहीद का दर्जा केंद्र सरकार और विभाग ने कुछ सालों पहले भी दीया था। एक साल पहले ही इसी संदर्भ में अर्जुन सिंह के परिवार का आवेदन मिला और विभाग के व्दारा कार्रवाई करके उन्हें शहीद का दर्जा दे दिया गया है।
सीआरपीएफ कमांडेंट विजय सिंह ने बताया कि बात 7 जुलाई 1967 की है जब अर्जुन सिंह सीआरपीएफ 13 बटालियन मणिपुर में तैनात थे। बटालियन को सूचना मिली कि संबंधित क्षेत्र में खूंखार नागा विद्रोही छुपे हुए हैं। जिसके बाद हमारी पूरी टीम ने सर्च ऑपरेशन चलाया। सर्च ऑपरेशन के दौरान नागा विद्रोहियों ने बटालियन पर फायरिंग शुरू कर दी।
उसके बाद दोनों तरफ से काफी देर तक फायरिंग होती रही। इस फायरिंग में कई नागा विद्रोहियों को मार गिराया गया। लेकिन इसी सर्च ऑपरेशन में हमारे साथी 28 वर्षीय जवान अर्जुन सिंह को वीर गति प्राप्त हो गई।
कमांडेंट विजय सिंह ने बताया कि कुछ साल पहले विभाग को जवान अर्जुन सिंह के परिजनों की तरफ से शहीद के दर्जे के लिए आवेदन मिला था। विभाग ने प्राप्त आवेदन की पूरी जानकारी की और 1 फरवरी 2023 को केंद्र सरकार और विभाग ने अर्जुन सिंह को शहीद का दर्जा दे दिया। सरकार और विभाग ने 81 वर्षीय उनकी पत्नी रामवती को वीरांगना के रूप में सम्मानित भी किया।
आगे उन्होंने बताया कि पति को शहीद का दर्जा मिलते ही वीरांगना रामवती की आंखें भर गई थी। वही सीआरपीएफ अधिकारीयों का कहना है कि शहीद के परिवार को मिलने वाली जो भी सुख-सुविधाएं होती है वह सभी सुख-सुविधाएं उनके परिवार को मुहैया कराई जाएंगी।