(जयपुर): राजस्थान में एक साल बाद विधानसभा चुनाव हैं। यहां वोट बैंक की राजनीति तेज हो चुकी है। इस राजनीति को हवा दी है एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने।
ओवैसी ने वर्ष 2023 में राजस्थान में भी पार्टी के प्रत्याशी उतारने के फैसले के बाद डेढ़ महीने पहले यहां दो दिवसीय दौरा किया, जिसमें खास तौर पर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों पर फोकस रहा। चुनावी जमीन तलाश रहे ओवैसी ने अल्पसंख्यक वोट बैंक को लेकर जब तार छेड़े तो कांग्रेस सरकार भी सक्रिय हो गई।
ओवैसी ने अपने दौरे के समय आरोप लगाए थे कि 65 लाख की मुस्लिम आबादी के लिए राजस्थान सरकार अपने बजट में 100 करोड़ रुपए के प्रावधान भी नहीं करती। ओवैसी के दौरे बाद प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी अल्पसंख्यकों को थामे रखने के लिए खास सक्रिय हो गई।
अपको बता दे कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों अल्पसंख्यकों के लिए डेढ़ सौ करोड़ रुपए से अधिक की घोषणाएं कीं। इनमें से अधिकतर ओवैसी के दौरे के बाद की हैं।
कांग्रेस और एआईएमआईएम के बीच राजस्थान की किन 40 सीटों पर रोमांचक जंग छिड़ेगी? ओवैसी के दौरे के बाद राज्य सरकार ने अल्पसंख्यकों को थामे रखने के लिए क्या-क्या और कौन-कौन सी घोषणाएं कीं? और क्या वाकई राज्य सरकार अल्पसंख्यकों के लिए 100 करोड़ के प्रावधान भी नहीं करती?
1. मदरसा स्मार्ट क्लासरूम – 85.15 करोड़
– औवेसी के दौरे के बाद 500 मदरसे पहले चरण के लिए चिन्हित कर लिए गए। इसमें 13.1 करोड़ रुपए खर्च होंगे। मतलब यह कि प्रत्येक पर 2.62 लाख रुपए खर्च होंगे। मुख्यमंत्री ने सभी मदरसों को स्मार्ट मदरसों में बदलने की घोषणा की थी। कुल 3250 मदरसों पर राज्य सरकार 85.15 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
2. मुख्यमंत्री मदरसा आधुनिकीकरण योजना – 25 करोड़ रुपए
– प्राथमिक स्तर का मदरसा – 15 लाख रुपए
– उच्च प्राथमिक स्तर का मदरसा – 25 लाख रुपए
– मदरसों में निर्माण एवं विस्तार कार्य
3. अल्पसंख्यक बाहुल्य बस्तियों में विकास कार्य – 44 करोड़ रुपए
– सड़क, पेयजल टंकियां, नाली, सीवर आदि
4. राजस्थान संविदा भर्ती नियम 2022 के तहत मदरसा पैराटीचर्स को शामिल कर उनके नियमितीकरण का रास्ता साफ
– कुल मदरसे – 3250
– कुल पैराटीचर्स 5697
5. वक्फ संपत्तियों का संरक्षण- 5 करोड़ रुपए
– सार्वजनिक भूमि पर बने कब्रिस्तान, मदरसों, विद्यालयों की चारदीवारी। वक्फ से जुड़ी भूमि के विवाद सुलझाए जाएंगे एवं अतिक्रमण हटाए जाएंगे।
ओवैसी ने अपने भाषणों में कहा था कि राज्य सरकार 65 लाख की मुस्लिम आबादी के लिए 100 करोड़ रुपए भी खर्च नहीं करती। इस आरोप का रिएलिटी चैक करें तो पिछले बजट में ही राज्य सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए इससे दुगुना प्रावधान किया हुआ है।
ओवैसी और उनकी पार्टी मुसलमानों में लोकप्रिय है। एआईएमआईएम ने दावा किया है कि सर्वे में लोगों ने उनकी पार्टी को समर्थन दिया है। सर्वे में मुस्लिम समुदाय ने कहा है कि एआईएमआईएम राजस्थान में आए और मुस्लिम व दलित की आवाज बने। कहा गया कि मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव होता रहा है और उनके क्षेत्रों में विकास नहीं हो रहा। हालांकि कांग्रेस के परम्परागत मुस्लिमों वोट बैंक में सेंध लगाना ओवैसी की पार्टी के लिए बड़ी चुनौती होगी।
राजस्थान की 40 सीटे हैं जहां मुस्लिम समाज जीत-हार का फैसला करता है। एआईएमआईएम का आना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी खतरे की घंटी है। कई सीटों पर समीकरण बदल सकते हैं। ऐसे में अगले चुनावों में इन सीटों पर जीत-हार को लेकर रोमांच काफी बढ़ जाएगा।
खास बात यह है कि इन 40 सीटों में से सीधे तौर पर 15-16 सीटों पर हर बार मुस्लिम प्रत्याशी ही जीतते हैं। राजस्थान की इन 40 सीटों में से 33 कांग्रेस के पास हैं। सरकार बनने और बिगड़ने के खेल में इतनी सीटों की संख्या काफी है। ऐसे में कोई भी पार्टी इनसे हाथ नहीं धोना चाहेगी।
औवेसी के राजस्थान आना का सबसे बड़ा कारण है, यहां का मुस्लिम वोट बैंक। वर्ष 2011 की जनगणना में यहां मुस्लिम जनसंख्या 9 प्रतिशत से अधिक थी, लेकिन माना जा रहा है कि अगले विधानसभा चुनाव तक इसमें 2 से 3 फीसदी का और इजाफा हो जाएगा।
ये कांग्रेस का ही परम्परागत वोट बैंक माना जाता है। पिछले चुनाव में 40 में 29 सीटों पर कांग्रेस, 7 पर बीजेपी, 3 पर बसपा और 1 पर निर्दलीय को जीत मिली थी। अभी बसपा विधायक और निर्दलीय कांग्रेस के साथ हैं, यानी 33 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है।