India News (इंडिया न्यूज़) Same-Sex Marriage : समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह हमारे अधिकार में नहीं है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा ने कहा, अदालत कानून नहीं बना सकता, लेकिन कानून की व्याख्या कर सकता है।
चंद्रचूड़ ने कहा
बता दें कि CJI ने कहा, CARA विनियमन 5(3) अप्रत्यक्ष रूप से असामान्य यूनियनों के खिलाफ भेदभाव करता है। एक समलैंगिक व्यक्ति केवल व्यक्तिगत क्षमता में ही गोद ले सकता है। इसका प्रभाव समलैंगिक समुदाय के खिलाफ भेदभाव को मजबूत करने पर पड़ता है। विवाहित जोड़ों को अविवाहित जोड़ों से अलग किया कर सकते है। उत्तरदाताओं ने कहा दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई डेटा नहीं रखा है कि केवल विवाहित जोड़े ही स्थिरता प्रदान करते है।
चंद्रचूड़ ने कहा कि मुझे जस्टिस रवींद्र भट्ट के फैसले से सहमत नहीं है। जस्टिस भट्ट के निर्णय के विपरीत मेरे फैसले में दिए गए निर्देशों के परिणामस्वरूप किसी संस्था का निर्माण नहीं होता है, बल्कि वे संविधान के भाग 3 के तहत मौलिक अधिकारों को प्रभावी बनाते हैं। मेरे भाई जस्टिस भट्ट स्वीकार करते हैं कि राज्य यानी शासन समलैंगिक समुदाय के खिलाफ भेदभाव करता है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें
- बता दें कि विवाहित जोड़े से अलग होना प्रतिबंधात्मक है क्योंकि यह कानून द्वारा विनियमित है लेकिन अविवाहित जोड़े के लिए ऐसा नहीं है।
- घर की स्थिरता कई घटकों पर निर्भर करता है, जिससे स्वस्थ कार्य जीवन संतुलन बनता है। स्थिर घर की कोई एक परिभाषा नहीं है और हमारे संविधान का बहुलवादी रूप विभिन्न तरह के संघों का अधिकार देता है।
- CARA विनियमन 5(3) असामान्य यूनियनों में भागीदारों के बीच भेदभाव करता है। यह गैर-विषमलैंगिक जोड़ों पर प्रतिकूल असर डालेगा और इस प्रकार एक अविवाहित विषमलैंगिक जोड़ा गोद ले सकता है। लेकिन समलैंगिक समुदाय के लिए ऐसा नहीं है।
- सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, निर्देशों का उद्देश्य नई सामाजिक संस्था बनाना नहीं है। अदालत आदेश के माध्यम से केवल एक समुदाय के लिए शासन नहीं बना रही है। बल्कि उन्हें जीवन साथी चुनने के लिए अधिकार भी दे रही है।
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