CAA: अमित शाह का बड़ा ऐलान, लोकसभा चुनाव से पहले लागू होगा CAA, जानिए क्या कुछ बदलेगा

India News(इंडिया न्यूज़), CAA: लोकसभा चुनाव अब करीब है। जिसको लेकर अब केंद्र सरकार ने भी कमर कस ली है। इसी बीच CAA को लेकर केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने एक बड़ा ऐलान किया है। अमित शाह ने ऐलान किया है कि सरकार इसे आगामी लोकसभा चुनावों से पहले लागू कर देगी।

लोकसभा चुनाव से पहले लागू होगा CAA

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) पर, केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि 2019 में लाए इस कानून को  नियम जारी करने के बाद लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा। शाह ने आगे कहा कि हमने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया है। इसलिए हमें विश्वास है कि देश की जनता भाजपा को 370 सीटों और एनडीए को 400 से अधिक सीटों का आशीर्वाद देगी।

मुस्लिम भाइयों को गुमराह किया जा रहा है -शाह

शाह ने आगे कहा कि हमारे मुस्लिम भाइयों को गुमराह किया जा रहा है और भड़काया जा रहा है। CAA केवल उन लोगों को नागरिकता देने के लिए है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत आए थे। यह किसी की भारतीय नागरिकता छीनने के लिए नहीं है।

क्या है CAA ?

CAA का मतलब नागरिकता संशोधन अधिनियम से है। नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019एक ऐसा कानून है, जिसके तहत दिसंबर 2014 से पहले 3 पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आने वाले 6 धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को सीटीजनशिप दी जाएगी। भारतीय संसद में CAA को वर्ष 2019 में 11 दिसंबर को पारित किया गया था, जिसमें 125 वोट इसके पक्ष में पड़े थे। वहीँ, 105 वोट इसके खिलाफ थे। इसके बाद राष्ट्रपति ने इस विधेयक को 12 दिसंबर को मंजूरी दे दी थी।

क्यों  विरोध कर रहे मुसलमान?

CAA का विरोध सबसे ज्यादा मुसलमान कर रहे हैं। दरअसल, इस कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए मुसलमानों को नागरिकता देने से बाहर रखा गया है। ऐसे में मुस्लिम पक्ष का मानना है कि इस कानून से मुसलमानों से भेदभाव हो रहा है और ये भारत में समानता की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन करता है। साथ ही, उन्हें यह भी डर है कि इससे कुछ क्षेत्रों, विशेषकर पूर्वोत्तर में और अधिक प्रवासन और जनसांख्यिकीय बदलाव हो सकते हैं।

क्या कहती है सरकार?

वहीँ CAA पर सरकार का यह मानना है कि CAA केवल मुस्लिम-बहुल देशों के सताए हुए अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता प्रदान करता है, जहां धार्मिक उत्पीड़न की संभावना ज्यादा है। भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से कोई खतरा नहीं है। सरकार का यह भी कहना है कि इन देशों में हिंदुओं से भेदभाव होता है न कि मुस्लिमों से, इसलिए इसमें मुस्लिमों को बाहर की श्रेणी में रखा गया है।

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