World Blood Donor Day 2023: विश्व रक्तदाता दिवस मिला एक दुर्लभ ब्लड ग्रुप, जो केवल दुनिया के 45 लोगों में पाए गया

India News (इंडिया न्यूज़), World Blood Donor Day 2023: 14 जून को हर साल विश्व रक्तदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरूआत सबसे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन, इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस, रेस क्रेसेंट सोसाइटीज, द इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लड डोनर ऑरर्गेनाइजेशंस और द इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन ने मिलकर सबसे पहले 2004 में की थी।

बता दें आमतौर पर ज्यादातर इंसानों के शरीर में 8 तरह के ब्लड ग्रुप्स पाए जाते हैं- A+, A-, B+, B-, O+, O-, AB+, AB-, लेकिन आज हम आपको ऐसे ब्लड ग्रुप के बारे में बताएंगे जो दुनिया में बेहद रेयर पाया जाता है। जानकारी के अनुसार ये ब्लड ग्रुप दुनिया के सिर्फ 45 लोगों के शरीर में ही पाया जाता है। इस ब्लड ग्रुप केे ‘गोल्डन ब्लड’ के नाम से जाना जाता है।बता दें गोल्डन ब्लड ग्रुप की तरह ही एक और दुर्लभ ब्लड ग्रुप है, जिसे बॉम्बे ब्लड ग्रुप के नाम से जानते है।

इंसानों के शरीर में पाए जाने वाला दुर्लभ ब्लड ग्रुप

बता दें गोल्डन ब्लड इंसानों के शरीर में पाए जाने वाले एक दुर्लभ यानी रेयर ब्लड ग्रुप है। इस ब्लड ग्रुप का एख दूसरा नाम भी है इसे आरएच नल (Rhnull) के नाम से भी जाना जाता है। गोल्डन ब्लड को Rhnull इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये खून उसी शख्स के शरीर में पाया जाता है, जिनका Rh फैक्टर null होता है। खास बात ये है कि ये दुनिया में मजह 45 लोगोंं के अंदर पाया जाता है। इसे हम चमत्कारी ब्लड ग्रुप या जिवन रक्षक ब्लड ग्रुप भी कह सकते हैं। दरअसल इसे दुनिया के किसी भी ब्लड ग्रुप वाले इंसानों के शरीर में चढ़ाया जा सकता है।

दुनिया के केवल 45 लोगों में पाए जाता है दुर्लभ ब्लड ग्रुप

बता दें दुनिया के 45 लोगों में पाए जाने के बावजूद दुनिया में सिर्फ 9 लोगों ने ही अभी तक इसे डोनेट किया है। ऐसे में अभी इस ग्रुप के डोनर सिर्फ 9 ही हैं। गोल्डन ब्लड ग्रुप वाले 36 लोग ऐसे हैं जो या तो इस स्थिति में नहीं हैं कि वे अपना ब्लड डोनेट कर सकें, या फिर वे स्वेच्छा से अपना ब्लड डोनेट करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में इस ब्लड ग्रुप के एक बूंद खून की कीमत एक ग्राम सोने से भी ज्यादा है। इसी वजह से इसे गोल्डन ब्लड ग्रुप का नाम दिया गया है ।

ऑस्ट्रेलियाई की एक आदिवासी महिला में मिला दुर्लभ ब्लड

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन वेबसाइट की माने तो 1961 में पहली बार ऑस्ट्रेलियाई की एक आदिवासी महिला के शरीर में ये ब्लड ग्रुप पाया गया था।इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टर जीएच वोज और उनके साथियों ने इसके बारे में डिटेल रिपोर्ट तैयार किया था। इस रिपोर्ट को इसी साल पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन की पत्रिका में पब्लिश किया गया था। इससे पहले डॉक्टरों का मानना था कि Rh एंटीजन के बिना बच्चे जिंदा नहीं पैदा हो सकते हैं।

 

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Nisha Parcha

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